 
                            आत्मकेन्द्रित लोग बहुत ही घातक होते हैं बस अपना काम हो जाए दुनिया भाड़ में जाए।समाज में ऐसे लोग किसी क़े नहीं होते है।आज भूखी जुएं अपनी औकात भूलकर ऐसे इतराती है कि जैसे खानदानी रईस हो पर वक्त के पास हर आदमी का लेखा-जोखा है कि कौन रईस था और कौन दाने-दाने को मोहताज था। किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए हर आदमी से समानता का व्यवहार करना चाहिए।कभी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए।वक्त बदलते देर नहीं लगती भाग्य किसी को भी अर्श पर ले जाता है और किसी को फर्श पर ले जाता है इसलिए मानव को मर्यादा में रहकर ही हर काम करना चाहिए।आदमी को किसी के साथ भी धोखा नहीं करना चाहिए।किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।क्योंकि एक बार विश्वास टूट जाता तो फिर से कायम कर पाना मुश्किल हो जाता है।ऐसे मानव का जीवन व्यर्थ है जो दूसरों को दुख देता है।गरीब आदमी को कभी नहीं सताना चाहिए अगर गरीब की बददुआ लग जाए तो बड़े से बड़ा धराशायी हो जाता है इसलिए हर मानव को हमेशा मानव के लिए अच्छे कार्य करने चाहिए।मानव को ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी उसे सदियों तक एक अच्छे इन्सान के रुप में हमेशा याद किया जा सके। भूखे को रोटी और प्यासे को पानी पिलाना चाहिए।आज का मानव पैसों से बैंक के खातों को तो भर रहा है मगर उपर का खाता खाली है इसलिए प्रत्येक साधन-संपन्न मानव को लाचार व गरीब लोागों को दान पुण्य करना चाहिए। मानव को एकजुट होकर हर मानव का काम करना चाहिए, कहते है कि एकता में बड़ा बल होता है।प्रत्येक मानव को पता है कि एक दिन सबको मौत आनी है तो फिर मानव क्यों नहीं समझ रहा है।मानव जब कोई चीज बनाता है तो वह उसकी गांरटी तय करता है मगर उसकी अपनी कोई गांरटी नहीं है कि कब प्राण निकल जाएं।रात दिन अवैध तरीकों से जायदाद जोड़ रहा है मगर किसके लिए आज तक कोई उठा कर नहीं लेकर गया तो फिर यह मोह माया क्यों है।मानव को नीच कर्मो को छोड़ देना चाहिए अच्छे कर्म करने चाहिए।प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती प्रतिभा कभी झुकने नहीं देतीl प्रतिभायें शिखर पर जरूर पहुंचाती है lकहते है कि हाथ से छिना जा सकता है मगर भाग्य को नहीं छिना जा सकता। जो भाग्य में है वह जरुर मिलेगा।देर जरुर है मगर सच ही पुरस्कृत होता है। भाग्य किसी की बपोती नहीं होती अपना अपना भाग्य होता है जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा l भाग्य किसी क़ो भी मिट्टी में मिला सकता है l भाग्य एक पल में किसी क़ो कंगाल बना दे यह किसी क़ो पता नहीं होता l दो जून की रोटी क़ो तरसने वाले आज अपना समय भूल चुके हैं l अच्छे कर्म जीवन क़ो स्वर्ग बना देते हैं और बुरे कर्म जीवन क़ो नर्क बना देते हैं l मानव क़ो अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए lआज कुछेक तथाकथित लोग तिगड़म करके ऐसे पदों पर विराजमान है जिसके वे काबिल नहीं है लेकिन सिफारिश के बलबूते स्थान हासिल करने वालों को एक दिन वक्त जरुर धूल चटाता है जब वह प्रतिभा के आगे नहीं टिकता एक कहावत की घर का जोगड़ा बाहर का जोगी सिद्ध आज पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। मगर मानव को एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि मुसीबत में अपने ही काम आते है बाहर के तमाशा देखते हैं। आज अपनों को नीचे गिराया जाता है और बाहर के लोगों को उपर उठाया जाता है भेदभाव किया जाता है प्रतिभा को दबाया जाता है और चंद स्वार्थों के लिए बाहर के लोगों को फायदा पहुंचाया जाता है ।आज कितने ही प्रतिभावान लोग है जिन्हे दरकिनार करके अयोग्य लोगों को मौका दिया जाता है।अनुभवहीन लोग आज इतने बड़े बन जाते है कि दूसरों को पाठ पढ़ाने लगते है कि कौन काम सही है और कौन गलत मगर सच्चाई सौ परदे फाड़ कर बाहर आती है तब ऐसे लोग खाक में मिल जाते है यह वक्त का कैसा तकाजा है कि आज सच्चे व इरादों के पक्के लोगों को मुख्यधारा से बाहर किया जा रहा हंै । मगर वक्त एक ऐसा तराजू है जिसके एक पलड़े में जिन्दगी और दूसरे पलड़े में मौत होती है जीवन और मृत्यु में सिर्फ सांसों का फासला है।जब इन्सान जिन्दा होता है तो कोई उसका हाल तक नहीं पूछता लेकिन जब संसार से रुखस्त हो जाता है तो हर आदमी मातम में शामिल होने में अपनी शान समझतें है। जिन्होने जब जिन्दा था तो बात तक नहीं की हांेगी। जब जीता है तो एक जोड़ी कपड़ा तक नसीब नहीं होता मगर जब उसके किसी काम का नहीं होता उसके मृत शरीर पर सैंकड़ों चादरें डाली जाती है।जीते जी जिसे घी नहीं मिलता जलाती बार मुहं में शुद्व देशी घी की आहुती दी जाती है जो व्यर्थ है।कहने का तात्पर्य यह है कि मानव की जीते जी सहायता कि जाए तो वही सच्ची मानवता कहलाएगीl (वरिष्ठ पत्रकार ,स्तंभकार) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 31 अक्टूबर/2025