नई दिल्ली(ईएमएस)। भारत ने मध्य एशिया में अपनी सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक सैन्य मौजूदगी को समाप्त कर दिया है। ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस (गिस्सार मिलिट्री एयरोड्रोम) से भारतीय वायुसेना और सेना ने औपचारिक रूप से संचालन बंद कर दिया है। 2002 से सक्रिय यह ठिकाना अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान पर निगरानी रखने का प्रमुख केंद्र था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत-ताजिकिस्तान द्विपक्षीय समझौता 2022 में समाप्त होने के बाद यह निर्णय लिया गया। सभी भारतीय अधिकारी, सैनिक और उपकरण पूरी तरह हटा लिए गए हैं। ऐसे में इस बात पर भी चर्चा है कि कहीं यह खेल रुस के इशारे पर तो नहीं हुआ? आयनी एयरबेस दुशांबे से पश्चिम में मात्र 10 किमी दूर स्थित सोवियत युग का पुराना एयरोड्रोम है, जो सोवियत संघ विघटन के बाद जीर्ण-शीर्ण हो गया था। 2001 में तालिबान के अफगानिस्तान पर हावी होने के दौरान भारत के विदेश मंत्रालय और सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे अपग्रेड करने का प्रस्ताव रखा। तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने मजबूत समर्थन दिया, जबकि एनएसए अजीत डोभाल और पूर्व वायुसेना प्रमुख मार्शल बीएस धनोआ ने स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाई। भारत ने विकास पर लगभग 100 मिलियन डॉलर (करीब 830 करोड़ रुपये) निवेश किए। बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन और भारतीय इंजीनियरों ने रनवे को 3,200 मीटर तक विस्तारित किया, हैंगर बनाए तथा ईंधन, मरम्मत व रखरखाव सुविधाएं विकसित कीं। यहां फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्टर तैनात किए गए और करीब 200 सैनिक-तकनीकी विशेषज्ञ लंबे समय रहे। 2021 तालिबान कब्जे के दौरान निकासी ऑपरेशन में इसका उपयोग हुआ।2022 में लीज अवधि खत्म होने पर ताजिकिस्तान ने नवीनीकरण से इनकार कर दिया और बेस अपने नियंत्रण में ले लिया। रूस व चीन का दबाव प्रमुख कारण माना जा रहा है, जिन्होंने गैर-क्षेत्रीय सैन्य उपस्थिति कम करने पर जोर दिया। रिपोर्ट्स बताती हैं कि रूसी सेनाओं ने भारत की वापसी के बाद नियंत्रण संभाला। फिर भी, भारत मध्य एशिया में राजनयिक व आर्थिक स्तर पर सक्रिय है।आयनी एयरबेस भारत की सुरक्षा नीति का प्रतीक था। अफगानिस्तान के वखान कॉरिडोर से 20 किमी दूर होने से यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के निकट पड़ता था, जिससे पेशावर जैसे क्षेत्रों पर निगरानी संभव थी। युद्ध स्थिति में पाकिस्तान को पश्चिमी मोर्चे पर बांधकर संसाधन विभाजित करने की क्षमता रखता था। मध्य एशिया में रूस-चीन प्रभाव के बीच भारत की पकड़ दर्शाता था। 2021 तालिबान कब्जे के बाद उपयोगिता घटी, क्योंकि भारत की अफगान रणनीति नॉर्दर्न एलायंस पर आधारित थी, जो समाप्त हो गई। भारत ने फरखोर में अस्पताल भी चलाया, जहां 2001 में अहमद शाह मसूद का इलाज हुआ। यह वापसी क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव का संकेत है, लेकिन भारत की रणनीतिक गहराई बनी रहेगी। वीरेंद्र/ईएमएस 01नवंबर 2025