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05-Nov-2025
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- काशी के 84 घाटों पर जगमगाए 25 लाख दीप - थलसेना, नौसेना, वायुसेना, सीआरपीएफ और एनसीसी के जवानों ने दी सलामी वाराणसी (ईएमएस)। आस्था, संस्कृति और आध्यात्म का संगम बनी काशी में कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर देव दीपावली का दिव्य आयोजन हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर पहला दीपक जलाकर देव दीपावली का विधिवत शुभारंभ किया। जैसे ही मुख्यमंत्री योगी ने दीप प्रज्वलित किया, वैसे ही काशी के सभी 84 घाटों पर लाखों दीपकों की ज्योति से पूरा गंगा तट आलोकित हो उठा। गंगा तट का दृश्य अद्भुत और अलौकिक प्रतीत हो रहा था। मानो आकाश के तारे धरती पर उतर आए हों। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर गंगा पूजन किया और क्रूज पर सवार होकर घाटों का विहंगम दृश्य देखा। उन्होंने शिवाला घाट पर हुए लेज़र शो और ग्रीन आतिशबाजी का आनंद लिया। इस मौके पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, मंत्री रविन्द्र जायसवाल, महापौर अशोक तिवारी, पूर्व मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी, मुख्य सचिव एस.पी. गोयल, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल सहित प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। देव दीपावली पर काशी में लगभग 25 लाख दीये जलाए गए। जिनमें से 15 लाख दीपों की व्यवस्था पर्यटन विभाग ने की, जबकि 10 लाख दीये समितियों और स्थानीय नागरिकों द्वारा प्रज्ज्वलित किए गए। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार यह आयोजन और भी भव्य रहा। दशाश्वमेध घाट पर इस बार देव दीपावली “ऑपरेशन सिंदूर” थीम पर मनाई गई, जहाँ एक लाख से अधिक श्रद्धालु एकत्र हुए। इसी दौरान एक बच्ची गंगा में गिर गई, जिसे एनडीआरएफ के जवानों ने तत्परता से बचा लिया। देव दीपावली का यह पर्व भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में मनाया जाता है। मान्यता है कि उसी दिन देवताओं ने काशी में आकर दीप जलाकर उत्सव मनाया था, जिससे इसका नाम “देव दीपावली” पड़ा। यह पर्व न केवल पौराणिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि देश के शहीदों को श्रद्धांजलि देने का प्रतीक भी है। इस अवसर पर थलसेना, नौसेना, वायुसेना, सीआरपीएफ और एनसीसी के जवानों ने औपचारिक सलामी दी और शहीदों की याद में आकाशदीप प्रज्वलित किए। काशी की देव दीपावली देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक पहुँचे। 40 से अधिक देशों के लोगों ने घाटों पर पहुंचकर इस दिव्य दृश्य का आनंद लिया। आतिशबाजी, लेज़र शो, गंगा आरती और दीपों की झिलमिलाहट ने पूरा वातावरण भक्ति और सौंदर्य से सराबोर कर दिया। इस रात काशी सचमुच “प्रकाश नगरी” बन गई। जहाँ हर दीप में श्रद्धा, भक्ति और भारतीय संस्कृति का उजाला झिलमिला रहा था।