:: किसान, मजदूर कमेटी का निर्णय; खाद संकट, भूमि अधिग्रहण और मालिकाना हक मुख्य मुद्दे :: इंदौर (ईएमएस)। किसान, खेत मजदूर और आदिवासियों की क्षेत्रीय कमेटी की बैठक में प्रदेश में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ रही उत्पीड़न की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। प्रदेश किसान सभा के उपाध्यक्ष अरुण चौहान ने दो टूक कहा कि ये अत्याचार आकस्मिक नहीं, बल्कि भाजपा और संघ की मनुवादी सोच तथा सरकारी संरक्षण का परिणाम हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को महात्मा फुले और अंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का आह्वान किया। कमेटी ने निर्णय लिया है कि अन्य सामाजिक-राजनीतिक दलों को जोड़कर दलित-आदिवासी उत्पीड़न विरोधी सम्मेलन आयोजित किए जाएँगे और कई ज्वलंत सवालों पर संयुक्त आंदोलन किया जाएगा। चौहान ने आरोप लगाया कि प्राकृतिक आपदा के बाद मंडियों में सोयाबीन, मक्का और प्याज जैसी फसलों के किसानों की लूट हो रही है। इससे भी गंभीर बात यह है कि रबी की फसल के लिए डीएपी और यूरिया खाद माँगने पर किसानों पर लाठियाँ भाजी जा रही हैं, जबकि सरकार मौन है। कमेटी ने यूरिया खाद समय पर उपलब्ध कराने की मांग की है। :: आंदोलन के प्रमुख मुद्दे :: आंदोलन स्वामित्व योजना के तहत सरकारी चरनोई भूमि पर निवासरत ग्रामीण आबादी को मालिकाना हक दिलाने पर केंद्रित रहेगा। इसके अलावा, सरकारी जंगलों को कॉर्पोरेट को बेचने, दलित-आदिवासियों को उनकी जमीनों से बेदखल किए जाने और विकास के नाम पर किसानों की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ भी तीखा विरोध दर्ज किया जाएगा। क्षेत्रीय बैठक की अध्यक्षता पूर्व जनपद सदस्य कैलाश यादव द्वारा की गई। बैठक को राजू जरिया, नारायण कोहली, हीरालाल चौधरी, शंकर लाल मालवीय, अजय बुंदेला, हीरा बहन और जैतून बी द्वारा भी संबोधित किया गया। प्रकाश/5 नवम्बर 2025