राष्ट्रीय
06-Nov-2025
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-सरकार का उद्देश्य मेले में व्यापार को पारदर्शी बनाना और राजस्व बढ़ाना है अजमेर,(ईएमएस)। राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेला इस बार नए बदलाव के साथ शुरू हो चुका है। राज्य कर विभाग ने जीवित घोड़ों की खरीद-बिक्री पर 5फीसदी जीएसटी लगाया है। इसका मुख्य उद्देश्य मेले में होने वाले बड़े पैमाने के व्यापार को पारदर्शी बनाना और राजस्व बढ़ाना है। इससे व्यापारियों को टैक्स चुकाना अनिवार्य हो गया है, जिससे अनधिकृत सौदों पर अंकुश लगेगा। कर विभाग के उपायुक्त ने पशुपालन विभाग को औपचारिक पत्र भेजकर नियमों को स्पष्ट किया है। पत्र में कहा गया है कि घोड़ा बेचने या खरीदने वाला हरेक व्यापारी जीएसटी नियमों का पालन करेगा। सबसे अहम प्रावधान यह है कि कोई भी सौदा होने से पहले पशुपालन विभाग को सूचित करना अनिवार्य है। यह जानकारी वाणिज्यिक कर विभाग तक जाएगी, जहां से टैक्स की वसूली तय की जाएगी। इससे गड़बड़ियों की संभावना न्यूनतम हो जाएगी। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक सुनील घीया ने सभी विक्रेताओं और खरीदारों से अपील की है कि घोड़ा बेचने से पहले जीएसटी संबंधी पूरी जानकारी हासिल करें और समय पर टैक्स जमा करें। मेले में विभाग ने अस्थायी कार्यालय स्थापित किया है, जहां व्यापारी सहायता ले सकते हैं। नियमों की विस्तृत गाइडलाइन भी उपलब्ध कराई है। बता दें पुष्कर मेला घोड़ों के विशाल बाजार के लिए मशहूर है। राजस्थान समेत पड़ोसी राज्यों से सैकड़ों व्यापारी यहां आते हैं। हजारों घोड़े मेले में पहुंचे हैं और व्यापार ने रफ्तार पकड़ ली है। ऊंट, गाय, भैंस के साथ घोड़ों की चमक अलग ही आकर्षण का केंद्र रहती है। खरीदार उत्तम नस्ल के घोड़ों की तलाश में यहां आते हैं। घोड़ों की दौड़, सवारी और नस्ल प्रदर्शन दर्शकों के लिए रोमांचक हैं। सरकार का मानना है कि इतने बड़े व्यापार पर टैक्स लगना स्वाभाविक है। इससे राजस्व में वृद्धि होगी और मेले की व्यवस्था में सुधार आएगा। पहले कई सौदे बिना रिकॉर्ड के हो जाते थे, लेकिन अब हर लेन-देन पर निगरानी रहेगी। व्यापारी का कहना है कि नियम उचित हैं, बशर्ते उनका काम आसान हो। कई व्यापारी पहले से ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। नए व्यापारी अस्थायी कार्यालय में फॉर्म भर रहे हैं और अधिकारी मौके पर मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। एक व्यापारी ने कहा कि टैक्स चुकाने से सौदा कानूनी हो जाता है और भविष्य में विवाद नहीं होते। पुष्कर मेला केवल व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि संस्कृति का जीवंत उत्सव है। घोड़ों पर जीएसटी यह एक आधुनिक कदम है जो मेले को और संगठित बना रहा है। यदि आप घोड़ा खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं, तो नियमों की पूरी जानकारी अवश्य लें। मेला 30 अक्टूबर से शुरू हुआ था। सिराज/ईएमएस 06नवंबर25