नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद में रात के भोजन को दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बताया गया है। रात का खाना केवल पेट भरने के लिए नहीं होता, बल्कि शरीर का संतुलन बनाए रखने और अगली सुबह ऊर्जा से भरपूर महसूस करने के लिए भी उतना ही जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, न तो बहुत ज्यादा और न ही बहुत कम खाना चाहिए, क्योंकि इसका असर सीधे नींद और पाचन पर पड़ता है। खाने के बाद 100 कदम टहलना पाचन के लिए सबसे सरल और असरदार उपाय माना गया है। धीरे-धीरे चलने से भोजन आसानी से पचता है। इसके बाद एक कप गुनगुना पानी या सौंफ का पानी पीना गैस और एसिडिटी की समस्या से बचाता है। खाने के तुरंत बाद 5 मिनट गहरी सांस लेना या ध्यान करना भी पाचन रसों को सक्रिय करता है और मन को शांत रखता है। रात में खाने के बाद दांत और जीभ साफ करना बेहद जरूरी है, ताकि मुंह में बैक्टीरिया न बढ़ें और नींद की गुणवत्ता बनी रहे। पैरों को धोना या हल्की तेल मालिश करना शरीर और मन दोनों को रिलैक्स करता है। सोने से पहले ढीले कपड़े पहनें और मन को सकारात्मक विचारों से भरें। आयुर्वेद के अनुसार रात का खाना 8 बजे तक और नींद 10 बजे तक लेना बेहतर माना गया है। इससे कफ दोष संतुलित रहता है और नींद स्वाभाविक रूप से गहरी आती है। सोने से आधा घंटा पहले कमरे की रोशनी मंद करें और स्क्रीन (मोबाइल, टीवी, लैपटॉप) से दूरी बनाएं। आयुर्वेदिक दृष्टि से बाईं करवट सोना सबसे सही माना गया है। यदि पाचन धीमा हो तो सोने से पहले थोड़ा त्रिफला या हींग चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेना लाभकारी होता है। पेट भारी लगे तो अजवाइन और सेंधा नमक राहत देते हैं। इन छोटे-छोटे आयुर्वेदिक नियमों को अपनाने से पाचन सुधरता है, नींद गहरी होती है, शरीर हल्का रहता है और मन प्रसन्न बना रहता है।सोने से पहले हल्दी या जायफल मिला गुनगुना दूध पीना पाचन और नींद दोनों के लिए उपयोगी है। नाभि में सरसों या नारियल तेल की कुछ बूंदें और नाक में घी या अणु तेल डालना मस्तिष्क को शांत करता है। सुदामा/ईएमएस 09 नवंबर 2025