राष्ट्रीय
11-Nov-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। धरती के नीचे अब बहुत ज्यादा सोने का भंडार बचा नहीं है। अनुमान के मुताबिक, सिर्फ 54 हजार से लेकर 70 हजार टन तक सोना ही धरती के नीचे बचा है। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, धरती में करीब 2.44 लाख टन सोने का भंडार है, जिसमें से ज्यादातर निकाल लिया गया है और करीब 57 हजार टन गोल्ड ही बाकी बचा है। हालांकि, कुछ अनुमानित संसाधन भी हैं, जो भविष्य में 1.32 लाख टन सोने का अतिरिक्त भंडार बन सकते हैं। बता दें कि सोने के भंडार को लेकर ही है। अगर नई खोज से कुछ और भंडार सामने आते हैं तो बात दूसरी होगी। एआई की तकनीक से आने वाले समय में और सोने का भंडार निकलना संभव हो सकता है। फिलहाल जितना सोना निकाला गया है, उसमें से 45 फीसदी गहने बनाने में इस्तेमाल किए गए हैं तो 22 फीसदी सिक्कों और बार में ढाल दिए गए हैं, जबकि 17 फीसदी गोल्ड आरबीआई सहित दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों में रखा है। हर साल दुनिया में करीब 3,000 टन सोना निकाला जाता है। इस लिहाज से देखें तो आने वाले 20 साल में धरती में बचा सारा सोना निकाल लिया जाएगा। हालांकि, परिषद का अनुमान अब तक ज्ञात सोने की अहमियत शायद किसी को बताने की जरूरत नहीं है। दुनियाभर के देश अपने-अपने भंडार में सोना बढ़ाते जा रहे हैं। वजह भी साफ है कि किसी मुसीबत में सिर्फ सोना ही है, जो बचाव कर सकता है। लेकिन, सोने के पीछे दुनिया की इस दौड़ के साथ एक सवाल और आता है कि आखिर धरती के गर्भ में अब कितना सोना बचा है और मानव सभ्यता की शुरुआत के बाद से कितना सोना निकाला जा सका है। विश्व स्वण परिषद की मानें तो जब से मानव इतिहास शुरू हुआ है कि तब से लेकर आज तक धरती से कुल करीब 2.16 लाख टन सोना ही निकाला जा सका है। वैसे तो परिषद ने यह आंकड़ा साल 2024 के अंत तक का ही दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक निकाले गए कुल गोल्ड में से करीब 66 फीसदी सोना तो सिर्फ 1950 के बाद से ही निकाला गया है। अगर अब तक निकाले गए कुल सोने को एक साथ रखा जाए तो यह 22 मीटर के एक क्यूब जितना ही होगा, जो करीब 4 मंजिला इमारत जितनी ऊंचाई होती है। अगर धरती में बचे कुल सोने के भंडार का अनुमान लगाएं तो रूस और ऑस्ट्रेलिया के पास सबसे ज्यादा है। दोनों देशों के पास करीब 12-12 हजार टन सोने का भंडार है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि धरती के कोर में सोने की बहुत ज्यादा सोना है, शायद इसकी मात्रा अरबों टन हो सकती है। हालांकि, यहां तक पहुंचना फिलहाल इंसानों की पहुंच से बाहर है। अभी तक जो तकनीक विकसित हुई है, उससे सिर्फ धरती की ऊपरी परत तक ही पहुंचा जा सकता है। वीरेंद्र/ईएमएस 11 नवंबर 2025