-सुप्रीम कोर्ट में चल रहा यह मामला नई दिल्ली,(ईएमएस)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते प्रभाव के बीच अब इसका मुद्दा देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है। ऐसे में यदि आप भी एआई का इस्तेमाल विभिन्न कार्यों के साथ वीडियो जनरेट करने में करते रहे हैं तो आपको भी सावधान होने की आवश्यकता है। दरअसल एआई जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनियंत्रित उपयोग से सभी चिंतित हैं, जिसे लेकर मामला अदालत तक पहुंच चुका है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनियंत्रित इस्तेमाल को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई सोमवार को की गई है। इसमें न्यायिक संस्थाओं और अदालतों में एआई टूल्स के बढ़ते प्रयोग पर गंभीर चिंता जताते हुए इसके नियमन के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी है, कि देश की कई अदालतें अब एआई का इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव और दुरुपयोग की संभावनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने केरल में एआई से जुड़े एक मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि बिना किसी नियंत्रण के ऐसे उपकरण न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने भी सुनवाई के दौरान कहा है, कि यह मामला पूरी तरह नीतिगत क्षेत्र का है, लेकिन उन्होंने माना कि अदालत एआई की बुराइयों से पूरी तरह वाकिफ है। उन्होंने बताया कि हाल ही में उनके और एक अन्य न्यायाधीश के मॉर्फ्ड वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए थे, जो एआई के गलत इस्तेमाल का उदाहरण हैं। सीजेआई गवई ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी कर कहा है, कि जेनरेटिव एआई के उपयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि यह तकनीक नए और झूठे डेटा या दृश्य तैयार करने में सक्षम है, जो न्यायिक प्रणाली की साख को नुकसान पहुंचा सकता है। अदालत ने कहा कि एआई के इस्तेमाल का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसका नियमन जरूरी है ताकि इसका उपयोग केवल उत्पादक और वैधानिक उद्देश्यों के लिए ही हो। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस याचिका पर कोई अंतिम निर्णय नहीं दिया है, लेकिन मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद तय की गई है। अदालत ने संकेत दिया कि एआई पर नियंत्रण और दिशा-निर्देश तय करने की जिम्मेदारी नीति निर्माताओं की है, मगर न्यायपालिका भी इसके दुरुपयोग पर नजर रखेगी। यह मामला ऐसे समय में आया है जब देशभर में एआई आधारित वीडियो, ऑडियो और फर्जी दस्तावेज़ों के प्रसार की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी अब आने वाले समय में एआई के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है। हिदायत/ईएमएस 11 नवंबर 2025