-जरूरत से ज्यादा लोगों से काम कराने को बाध्य करने की हो रही आलोचना टोक्यो,(ईएमएस)। जापान की पीएम साने तकाइची के जरूरत से ज्यादा काम करने और लोगों को इसके लिए बाध्य करने की आलोचना शुरु हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वे रात 3 बजे भी बैठक बुला लेती हैं और करीब 24 घंटे काम करती हैं। काम के बोझ के कारण देश में काफी मौतें होती रहीं है, जिसे करोशी कहा जाता था। माना जा रहा है कि वर्कहोलिक होने की वजह से लोग शादियां नहीं कर रहे और देश की आबादी बूढ़ी होती जा रही है। यहां तक कि इसे रोकने के लिए कानून भी बना, लेकिन क्या खुद पीएम ही उस कल्चर को दोबारा जिंदा कर देंगी? मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीएम तकाइची ने अपने पहले भाषण में कहा था कि वे वर्क-लाइफ बैलेंस को खत्म कर देंगी और ये मजाक नहीं था। रोज करीब 18 घंटे काम के लिए जानी जाती ताकाइची ने हाल में रात 3 बजे एक बैठक बुलाई, जिसके बाद विवाद छिड़ गया। पीएम के समर्थक इसे अच्छी पहल मान रहे हैं, जबकि आलोचक डरे हुए हैं। दरअसल, इस देश में पहले से ही करोशी कल्चर रहा यानी इतना काम कि लोगों की मौत होने लगी। इसमें बुजुर्गों से लेकर युवा आबादी भी शामिल रही। एक सरकारी सर्वे में माना गया कि हर 10 में से एक शख्स महीने में करीब 80 घंटे ओवरटाइम करता है। वहीं हर पांच में से एक व्यक्ति करोशी के खतरे में है। इसमें तनाव और नींद पूरी न होने की वजह से स्ट्रोक का खतरा रहता है। जापान में काम को बहुत गंभीरता से लेने की संस्कृति है। कंपनियां अपने कर्मचारियों से उम्मीद करती थीं कि वे देर रात तक काम करें। वीकेंड पर भी ऑफिस आएं और छुट्टियां न लें। बता दें दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान जब हिरोशिमा-नागासाकी पर परमाणु हमला हुआ था, तब भी इस तरीके से शहर दोबारा बस सके। तो मान लिया गया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं। 60 के दशक में जापान में इकनॉमिक ग्रोथ बढ़ी। कंपनियों और कारखानों में देर तक काम करने वाले कर्मचारी चाहिए थे। लोगों से ओवरटाइम करवाया जाने लगा और बढ़ते-बढ़ते ये कल्चर लोगों की आदत बन गई। 80 के दशक तक जापान के वर्ल्ड वॉर के जख्म तो भर गए लेकिन सेहत पर संकट शुरू हो गया। युवाओं की काम करते हुए मौतें की संख्या बढ़ीं। बात यहीं खत्म नहीं हुई। युवा आबादी शादी करने और परिवार बढ़ाने से बचने लगी। जापान में बूढ़ी आबादी बढ़ने लगी, जबकि युवा आबादी कम होने लगी है। अब कंपनियां किसी कर्मचारी से एक महीने में 45 घंटे और साल में 360 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम नहीं ले सकतीं। कंपनियों पर निगरानी बढ़ाई गई और गलत पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई होने लगी। कर्मचारियों को जबरन छुट्टी पर भेजा जाने लगा। इससे करोशी में काफी कमी आई, लेकिन अब नई पीएम खुद करोशी की समर्थक हैं। संबोधन में ही उन्होंने खुद को वर्कहॉर्स बताते हुए वर्क-लाइफ की दूरी मिटाने की बात कर दी। सिराज/ईएमएस 14नवंबर25