लेख
18-Nov-2025
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बिहार ने 2025 के विधानसभा चुनाव परिणामों के साथ भारतीय राजनीति को एक बार फिर चौंकाया है। जिस प्रकार के जनादेश ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को सत्ता के शिखर पर पहुंचाया है, वह न केवल राज्य की राजनीतिक दिशा बदलने वाला क्षण है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी एक बड़ा संकेत माना जा रहा है। इस जनादेश के बाद राज्य में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिनों में शपथ-ग्रहण संपन्न हो सकता है, और बिहार एक बार फिर स्थिर शासन की ओर कदम बढ़ाएगा। यह चुनाव केवल सत्ता का हस्तांतरण नहीं, बल्कि जनता की अपेक्षाओं, राजनीतिक मूल्यों और विकास के नए मानकों की अभिव्यक्ति भी है। बिहार लंबे समय से राजनीतिक उठापटक और गठबंधन परिवर्तनों का केंद्र रहा है, लेकिन इस बार का फैसला अपेक्षा से कहीं अधिक स्पष्ट और निर्णायक है। इससे देशभर में यह संदेश गया है कि जनता बार-बार अस्थिरता, अनिर्णय और नकारात्मक राजनीति को नकार रही है। नीतीश कुमार की वापसी अनुभव, विश्वसनीयता और प्रशासन का भरोसा है। नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति का केंद्रीय चेहरा रहे हैं। भले ही वे कई बार राजनीतिक गठजोड़ों में बदलाव करते रहे हों, लेकिन एक बात सदैव कायम रही है और वो उनकी प्रशासनिक विश्वसनीयता है।सड़क-परिवहन और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बुनियादी ढाँचे में परिवर्तन,महिलाओं के लिए आरक्षण तथा शराबबंदी जैसे सामाजिक सुधार आदि इन कदमों ने उन्हें आज भी बिहार की राजनीति में एक स्वीकार्य नेता बनाए रखा है। 2025 के चुनाव में बिहार ने उनके अनुभव पर दोबारा भरोसा जताया है। जनता यह संदेश देना चाहती थी कि राज्य को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो राजनीतिक अस्थिरता से ऊपर उठकर शासन को केंद्र में रखे। यही कारण है कि उनकी नेतृत्व क्षमता के इर्द-गिर्द गठबंधन की जीत को एक मजबूत जनादेश के रूप में देखा जा रहा है। *शपथ-ग्रहण को लेकर बढ़ती उत्सुकता और बिहार में स्थिरता के संकेत मिल रहे है।चुनाव परिणाम सामने आने के बाद से ही राज्य में नए मंत्रिमंडल के गठन की चर्चा तेज है। राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा है कि19 या 20 नवंबर के बीच नए मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल का शपथ-ग्रहण संभव है।तेजी से आगे बढ़ती यह प्रक्रिया दर्शाती है कि गठबंधन में स्पष्ट एकता और नेतृत्व को लेकर कोई मतभेद नहीं है। इसकी दो महत्वपूर्ण वजहें हैं। जनादेश बेहद स्पष्ट है और विपक्ष बिखरा हुआ दिखा। गठबंधन नेतृत्व पर विश्वास और भाजपा, जदयू और अन्य सहयोगी दलों में इस बार तालमेल पहले से अधिक मजबूत दिख रहा है। शपथ-ग्रहण का यह चरण सिर्फ सरकार के औपचारिक गठन भर का विषय नहीं, बल्कि जनता को यह विश्वास दिलाने का प्रयास है कि नई सरकार समय गंवाए बिना अपने वादों और योजनाओं पर काम शुरू करेगी। चुनावी परिणाम से राष्ट्रीय राजनीति को दिया यह संदेश जनता के विश्वास का प्रतीक है। बिहार का चुनाव अक्सर देश की राजनीति की दिशा तय करने वाला माना जाता है। 1970 के दशक की छात्र राजनीति से लेकर मंडल-कमीशन, सामाजिक न्याय और हाल के वर्षों में विकास और सुशासन बिहार की राजनीति हमेशा व्यापक राष्ट्रीय विमर्श को प्रभावित करती आई है। 2025 के चुनाव परिणामों ने एक बड़ा संकेत दिया है।यह केवल नीतीश कुमार या NDA की जीत नहीं, बल्कि विपक्षी दलों की रणनीति, नेतृत्व संरचना और मतदाताओं से संवाद की विफलता का भी परिणाम है। इस चुनाव ने स्पष्ट किया कि नकारात्मक राजनीति,भ्रम फैलाने की कोशिशें,जातिगत ध्रुवीकरण या अनर्गल आरोपों से मतदाता अब प्रभावित नहीं होता। यह प्रवृत्ति 2024 के लोकसभा चुनावों में भी दिखी थी, लेकिन बिहार के जनादेश ने इसे और मजबूत किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार का यह चुनाव आने वाले वर्षों में राजनीतिक पार्टियों के लिए संदेश है कि मतदाता अब सिर्फ विकास, रोजगार, सुरक्षा और स्थिर प्रशासन चाहता है। केंद्र–राज्य संबंधों में नए समीकरण सहयोग की नई परिभाषा बयां करते है। इस जीत के बाद सबसे बड़ा राजनीतिक संकेत यह उभर रहा है कि बिहार में केंद्र और राज्य सरकारों के रिश्ते नए और सकारात्मक मोड़ पर जा सकते हैं। सहयोगवादी संघवाद को गति एवं केंद्र में NDA और बिहार में उसी गठबंधन की सरकार होने का सीधा मतलब है कि अधिक विकास परियोजनाएँ तेजी से स्वीकृत होंगी।आर्थिक सहायता और अनुदान के आवंटन में रुकावटें कम होंगी। केंद्र की योजनाएँ राज्य में सरलता से लागू होंगी। बिहार जैसे राज्य को, जिसका विकास सूचकांक ऐतिहासिक रूप से कमजोर रहा है, यह तालमेल नई ऊर्जा देगा। बुनियादी ढांचा और औद्योगिक विकास को नया बल मिलेगा। केंद्र सरकार पहले से ही पूर्वी समृद्धि कॉरिडोर, गंगा जलमार्ग ,पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्टिविटी, औद्योगिक हब तथा कृषि-आधारित उद्योग जैसी परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दे रही है। अब नए राज्य नेतृत्व के साथ समन्वय बढ़ेगा औरबिहार में निवेश-परिदृश्य बेहतर हो सकता है। सुरक्षा और सीमा-प्रबंधन को मजबूत समर्थनमिलेगा। बिहार की नेपाल सीमा से जुड़े सुरक्षा मुद्दों और सीमांचल बेल्ट की संवेदनशीलता को लेकर केंद्र अक्सर विशेष फोकस रखता है। नए राजनीतिक समीकरण यहाँ बेहतर समन्वय और त्वरित कार्रवाई में मदद कर सकते हैं। राजनीतिक स्थिरता से प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधारहोगा और इतना ही नही, राजनीतिक स्थिरता से अफसरशाही को स्पष्ट दिशा मिलेगी।परियोजनाओं की गति बढ़ेगी और केंद्र-राज्य संयुक्त समितियों में निर्णय तेजी से लिए जा सकेंगे। यह सभी कारक मिलकर आने वाले समय में बिहार के विकास के लिए बड़ा अवसर पैदा करते हैं।बिहार में बदलती राजनीतिक दिशा से जनता की प्राथमिकताएँ बदल रही है। यह चुनाव यह भी दर्शाता है कि बिहार में राजनीति की मूल दिशा बदल रही है। जाति-आधारित राजनीति की पकड़ कमजोर विकास केंद्र में है।हालाँकि बिहार की सामाजिक संरचना जातियों पर आधारित है, लेकिन इस चुनाव में जनता ने विकास, रोजगार, बुनियादी ढांचे और शासन-व्यवस्था को प्राथमिकता दी।युवाओं की निर्णायक भूमिका बिहार के युवा अब ऐसे नेतृत्व को पसंद करते हैं जो रोजगार, तकनीकी शिक्षा, स्टार्ट-अप और आधुनिक बुनियादी ढांचे पर काम करे। महिला मतदाताओं का प्रभाव नीतीश कुमार की सरकारों ने महिलाओं को पंचायतों में आरक्षण और जनहित योजनाओं से जोड़ा है।इसका लाभ लगातार मिलता रहा है।2025 में भी महिला मतदाता निर्णायक रहीं। कानून-व्यवस्था प्राथमिक मुद्दा है।बिहार की जनता अब किसी भी कीमत पर अराजकता या अस्थिरता नहीं चाहती। यह मानसिकता 2025 के जनादेश में साफ दिखाई दी। विपक्ष की चुनौतियाँ पुनर्गठन की आवश्यकता है।विपक्ष इस चुनाव में नेतृत्व, संगठन और रणनीति के स्तर पर काफी कमजोर साबित हुआ। अब विपक्ष के सामने कई चुनौतियाँ हैं।नेतृत्व का अभाव, स्थानीय मुद्दों से दूरी, भाजपा-जदयू गठबंधन के मजबूत संगठन से मुकाबला, युवा और महिला मतदाताओं को स्पष्ट एजेंडा न दे पाना। अगर विपक्ष को भविष्य में मजबूत चुनौती पेश करनी है, तो उन्हें नए चेहरों, नई सोच और जमीनी रणनीति पर काम करना होगा। आने वाले 5 वर्षों का रोडमैप बिहार की महत्वाकांक्षाएँ नई सरकार के सामने कई महत्वपूर्ण लक्ष्य होंगे। रोजगार सृजन और औद्योगीकरण कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा. बुनियादी ढांचे सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा को विश्वसनीय बनाना और सीमांचल और पिछड़े जिलों पर विशेष फोकस रहेगा। टेक्नोलॉजी-ड्रिवन प्रशासन भ्रष्टाचार-रहित शासन सुनिश्चित करना और इन लक्ष्यों पर वास्तविक प्रगति ही आने वाले वर्षों में सरकार की सफलता तय करेगी। 2025 का बिहार चुनाव परिणाम एक ऐतिहासिक राजनीतिक मोड़ है। यह न केवल राज्य की नई दिशा तय करता है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति को भी संदेश देता है किजनता अब स्थिरता, विकास और सुशासन का समर्थन करती है।नकारात्मकता, भ्रम और अनिश्चित गठबंधनों का दौर समाप्त हो रहा है। नीतीश कुमार की अगुवाई में बनने वाली नई सरकार से जनता को बड़ी उम्मीदें हैं। केंद्र-राज्य संबंधों में सहयोग की नई परिभाषा उभर रही है, जो बिहार के विकास के लिए एक निर्णायक कारक साबित हो सकती है।अभी शपथ-ग्रहण की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और बिहार एक नई राजनीतिक सुबह की ओर अग्रसर है। एक ऐसी सुबह, जिसमें स्थिरता, विकास और राष्ट्रीय समन्वय की नई कहानी लिखी जा सकती है।बिहार में शपथ ग्रहण की तैयारियां जोरों पर है। (वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार स्तम्भकार) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 18 नवम्बर/2025