नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश की राजधानी दिल्ली में बीते सोमवार को लाल किला मेट्रो स्टेशन के करीब कार में हुआ धमाका 14 साल पहले 2011 में इसी तरह के आतंकी घटना की याद दिला गया है, जिसमें दिल्ली पूरी तरह सिहर उठी थी। बहरहाल यह पहला या दूसरा आतंकी हमला नहीं था, बल्कि इससे पहले अनेक आतंकी हमलों से दिल्ली दहल चुकी है, जिसने कई दफा कानून व्यवस्था और सुरक्षा इंतजामों को बेहतर करने के संदेश भी दिए हैं, लेकिन हमले हैं कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स से प्राप्त हो रही जानकारी अनुसार बीते 25 सालों के दरमियान आतंकियों द्वारा दिल्ली को 25 बार दहलाने की नापाक कोशिशें की गईे, जिनमें अनेक मासूमों को जान से हाथ धोना पड़ा। हर बार यही कहा जाता है कि इन घटनाओं से सबक लेने की आवश्यकता है, लेकिन आतंकी अपने नापाक इरादों में फिर भी सफल हो ही जाते हैं। यह बड़ी चिंता की बात है। यूं उसके बाद भी छोटे-छोटे आतंकवादी हमले हुए, लेकिन वे उतने गंभीर नहीं थे। बीते 25 वर्षों के दौरान देश में आतंकवादियों ने 6,289 धमाके किए हैं, इसमें 25 घटनाएं केवल राजधानी दिल्ली में हुई हैं। वर्ष 2008 से लेकर 10 नवंबर 2025 तक (दिल्ली धमाका, जिसमें करीब 12 लोगों की मौत हुई) देश में 13 प्रमुख आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिसमें कुल 788 से अधिक लोगों की जानें गई। बताया गया है कि देश को झकझोरने वाली ये आतंकी घटनाएं समय-समय पर होती रही हैं, लेकिन खास बात यह है कि साल 2000 के बाद से अब 2025 तक इन हमलों में 74 प्रतिशत की कमी आई है। ढाई दशक की इस अवधि में सबसे अधिक 420 आतंकी हमले 2005 में हुए थे, जबकि 809 मामलों के साथ सबसे ज्यादा आकस्मिक विस्फोट 2015 में सामने आए थे। सन 2000 के बाद से सबसे अधिक 1,027 आतंकी विस्फोट मणिपुर में हुए। इसके बाद असम में 696 घटनाएं हुईं। वर्ष 2008 के बाद से 13 प्रमुख आतंकवादी विस्फोटों की जांच पुलिस, एनआईए सहित अन्य एजेंसियों द्वारा की गई। आगे इस तरह के हमले न हों इस पर गंभीरता से विचार करने और प्लानिंग करने की आवश्यकता है। क्योंकि ये हमले न सिर्फ मासूमों की जान लेते हैं और देश की संपत्ति को नुक्सान पहुंचाते हैं, बल्कि देश की कानून व्यवस्था व गुप्तचर एजेंसियों के फीडबैक पर भी सवालिया निशान लगा देते हैं। हिदायत/ईएमएस 18 नवंबर 2025