अंतर्राष्ट्रीय
18-Nov-2025
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-भारत खाड़ी, एशियाई और अफ्रीकी रक्षा बाजारों में आपूर्तिकर्ता के रुप में होना चाहता है स्थापित दुबई,(ईएमएस)। भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस तेजस लड़ाकू विमानों को दुबई एयरशो-2025 में उतारा। दुबई एयरशो में ब्रह्मोस और तेजस को भेजने का भारत का मकसद ना सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपने संबंधों को और गहरा और मजबूत करना है, बल्कि भारत खुद को खाड़ी, एशियाई और अफ्रीकी रक्षा बाजारों में एक उभरते आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करना चाहता है। यह एयर शो 17 से 21 नवंबर तक आयोजित हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, डीआरडीओ और निजी फर्मों और स्टार्ट-अप्स के समूह के साथ भारतीय वायु सेना की सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम और एलसीए तेजस लड़ाकू विमान दुबई एयरशो में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे। ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी जबरदस्त क्षमता का प्रदर्शन किया था, जिससे ब्रह्मोस अब युद्ध में साबित हो चुकी मिसाइल बन चुकी है। दुबई एयरशो खाड़ी, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के चौराहे पर स्थित है। इस एयरशो में अलग अलग देशों के एक हजार से ज्यादा ऑब्जर्वर्स, डिफेंस एक्सपर्ट्स और सीनियर प्रतिनिधिमंडल आते हैं। भारत कई सालों के रिकॉर्ड रक्षा निर्यात और दशक के अंत तक इसे करीब दोगुना करने के आधिकारिक लक्ष्य के साथ यहां पहुंचा है। भारत की नीति मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड पर आधारित है। इसके अलावा भारत और यूएई ने आर्थिक साझेदारी, समुद्री सुरक्षा, एयरोस्पेस और टेक्नोलॉजी में बढ़ते सहयोग के साथ अपने संबंध काफी गहरे कर लिए हैं। इसलिए दुबई एयरशो, अफ्रीका और दक्षिण एशिया को जोड़ने वाला भारत के लिए सबसे बड़ा एयरोस्पेस मंच बन गया है। भारत के लिए न सिर्फ संभावित खरीदारों से जुड़ने का अवसर है, बल्कि भारत को पश्चिमी आपूर्तिकर्ताओं के विकल्प के रूप में उभरती शक्ति के रूप में स्थापित करने का मौका भी देता है। दुबई एयरशो में भारत का सबसे प्रमुख आकर्षण एलसीए तेजस एमके1ए है, जिसे भारत ने एक कॉम्पैक्ट 4.5-जनरेशन मल्टीरोल फाइटर के रूप में पेश किया है। जीई एफ404 इंजन से संचालित यह सिंगल इंजन जेट करीब मेक 1.8 की स्पीड, 16,000 मीटर से ज्यादा सर्विस सीलिंग और डेल्टा-विंग डिजाइन की वजह से उच्च गतिशीलता प्रदान करता है। इसमें नौ हार्डप्वाइंट पर 5 टन से ज्यादा हथियार उठाने की क्षमता है, जो इसे हल्के लेकिन घातक प्लेटफॉर्म की श्रेणी में मजबूती से स्थापित करती है। एईएसए रडार, स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट, बीवीआर मिसाइलें और कम ऑपरेटिंग लागत इसे उन देशों के लिए आकर्षक विकल्प बनाते हैं जो भारी ट्विन-इंजन फाइटर खरीदने में सक्षम नहीं हैं। मलेशिया, अर्जेंटीना और मिस्र जैसे देशों ने पहले भी रुचि दिखाई है, जबकि खाड़ी, दक्षिण–पूर्व एशिया और अफ्रीका में इसे पॉइंट-डिफेंस फाइटर और लीड-इन ट्रेनर के रूप में मजबूत संभावनाएं हैं। हालांकि, इंजन डिलीवरी को लेकर अमेरिका पर निर्भरता भारत की निर्यात संभावनाओं को झटका देता है। सिराज/ईएमएस 18नवंबर25