दुबई (ईएमएस)। दुबई में एयर शो के दौरान हुए हादसे में तेजस जलकर भस्म हो गया। इसमें कुछ भी ऐसा नहीं बचा जिसकी ठीक से जांच हो सके। इसके मददे नजर सवाल उठने लगे हैं कि जांच में हकीकत कैसे सामने आएगी। मलबे और राख के ढेर से कैसे जांच हो पाएगी। हवा में उड़ान भरने के बाद तेजस बैरल रोल मैन्यूवर कर रहा था। यह एक ऐसा करतब था, जिसे तेजस की सबसे बड़ी ताकत माना जाता है। लेकिन अगले ही पल, ना जाने क्या हुआ, सब कुछ बदल गया। अचानक तेजस ने अपना बैलेंस खोया और उसकी नोज जमीन की तरफ झुक गई। पहले सबको लगा कि तेजस कोई नया करतब कर रहा है, लेकिन यहां तकदीर को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार को दुबई एयर शो में हुए हासदे ने कई सवाल उठना शुरू हो गए हैं। सब जानना चाह रहे हैं कि क्या यह तकनीकी खराबी थी? यह क्रैश पायलट की गलती से हुआ? या कुछ और?। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब सब कुछ खाक हो गया है, तो हादसे की गुत्थी कैसे सुलझेगी? लेकिन सवाल अभी भी वही है कि जब सब कुछ जल कर खाक हो गया, तो हादसे का सच कैसे बाहर आएगा। इस सवाल पर एक्सपर्ट्स का जवाब है कि एचएएल के इंजीनियर और एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) की टीम दुबई पहुंच चुकी है। भारतीय वायुसेना के टीम की देखरेख में टीम्स तेजस के ब्लैक बॉक्स, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) को खोजेंगी। ब्लैक बॉक्स, एफडीआर और सीवीआर की मदद से इस हादसे का सच बाहर लाया जाएगा। लेकिन इसमें चुनौती बड़ी है। दुबई में हादसा होने से भारतीय एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पड़ेगी। अब सवाल यह है कि यह जांच आगे कैसे बढ़ेगी? कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में वायुसेना के सीनियर अधिकारी, एचएएल के टेक्निकल एक्सपर्ट और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक शामिल होंगे। ब्लैक बॉक्स रिकवर करने में सबसे बड़ी चुनौती आग से डेटा डैमेज हो सकता है। अगर इंजन फेलियर निकला, तो जनरल इलेक्ट्रिक के साथ जांच होगी। हाई-ऑल्टीट्यूड डेमो में ईंधन प्रेशर या एवियोनिक्स ग्लिच की संभावनाओं को भी तलाशा जाएगा। इकसे अलावा, भारतीय एजेंसियों की कोशिश होगी कि मलबे के हर टुकड़े, इंजन के पार्ट्स, फ्यूल के सैंपल को जांच के लिए भारत लाया जाए। इसके बाद इनकी जांच कर हादसे के सच को सामने लाया जाएगा। भारत में बने तेजस एयरक्रापु्ट का भले ही दूसरा हादसा था, लेकिन पहला इतना विनाशकारी था। आपको बता दें कि तेजस भारत का पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने तैयार किया है।2001 में पहली उड़ान भरने वाला तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट 2016 में वायुसेना में शामिल हुआ था। डेल्टा विंग डिजाइन, सिंगल इंजन (जनरल इलेक्ट्रिक एफ-404), एडवांस्ड एवियोनिक्स और एईएसए रडार से लैस यह जेट मिग-21 जैसे पुराने सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट को बदलने का सपना था। रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना के तुरंत बाद दुबई की इमरजेंसी सर्विसेज से जुड़ी तमाम एजेंसीज मौके पर पहुंच गईं। आग बुझाने में आधा घंटा लगा। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तेजस ने दो-तीन चक्कर लगाए थे। अचानक तेजस की नोज नीचे हुई और फिर वह सीधी हो गई, लेकिन ऊंचाई कम होती गई। 2:15 बजे धमाका हुआ और सबके होश उड़ गए। कुछ रिपोर्ट्स में वीडियो फुटेज में हवाले से बताया गया है कि जेट बैरल रोल के बाद फ्लेमआउट का शिकार हुआ। यानी इंजन बंद हो गया। हालांकि इन सब अटकलों के बीच भारतीय वायुसेना ने तुरंत कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दे दिया है। इंक्वायरी के बाद हादसे का असली सच सामने आएगा। वीरेंद्र/ईएमएस 23 नवंबर 2025