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27-Nov-2025
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्काईरुट के नए इनफिनिटी कैंपस का भी किया उद्घाटन नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश के पहले निजी ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-I का औपचारिक अनावरण किया। 26 मीटर ऊँचे इस रॉकेट का निर्माण निजी अंतरिक्ष कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने किया है। यह रॉकेट 300 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की क्षमता रखता है। कंपनी अगले वर्ष 2026 में इसके पहले मिशन को लॉन्च करेगी। इस अनावरण कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्काईरूट के नए इनफिनिटी कैंपस का भी उद्घाटन किया। हैदराबाद स्थित यह अत्याधुनिक परिसर लगभग दो लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है। यहां बहु-लॉन्च व्हीकल्स के डिजाइन, विकास, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग का काम किया जाएगा। कंपनी के अनुसार, यह सुविधा हर महीने एक ऑर्बिटल रॉकेट बनाने में सक्षम होगी। स्काईरूट एयरोस्पेस की स्थापना 2018 में पवन चंदना और भरत ढाका ने की थी। दोनों आईआईटी से शिक्षित हैं और इसरो में वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 2022 में कंपनी ने अपना पहला सब-ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-एस लॉन्च कर भारत की पहली निजी रॉकेट लॉन्चिंग कंपनी बनकर इतिहास रचा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत के बढ़ते स्पेस सेक्टर की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि देश बड़े लक्ष्य तय कर रहा है और उन्हें पूरा करने के लिए निजी कंपनियों को व्यापक अवसर मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने निवेशकों से भारत की विकास यात्रा में सहभागी बनने का आह्वान भी किया। इससे एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद में सफ्रान एयरक्राफ्ट इंजन सर्विसेज की नई एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल) सुविधा का भी वर्चुअल उद्घाटन किया था। इस बीच उन्होंने कहा कि यह केंद्र भारत को वैश्विक विमानन सेवाओं के हब के रूप में स्थापित करेगा और युवाओं के लिए उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में नए अवसर उत्पन्न करेगा। भारत में तेजी से बढ़ रहे स्पेस सेक्टर में आज 300 से अधिक स्टार्टअप सक्रिय हैं। स्काईरूट, अग्निकुल कॉसमॉस, बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस, ध्रुव स्पेस और एस्ट्रोगेट जैसी कंपनियां रॉकेट और सैटेलाइट तकनीक में उल्लेखनीय प्रगति कर रही हैं। अग्निकुल कॉसमॉस अपने लॉन्च व्हीकल अग्निबाण पर काम कर रही है, जिसे छोटे उपग्रहों को कक्षा में भेजने के लिए डिजाइन किया गया है। मौजूदा विक्रम-I की लॉन्चिंग के साथ भारत निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष क्षमताओं को नई दिशा देने की तैयारी में है। यह न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है, बल्कि भारत को वैश्विक स्पेस मार्केट में मजबूत प्रतिस्पर्धी बनने का अवसर भी देगा। हिदायत/ईएमएस 27नवंबर25