--मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की वैज्ञानिक टीम में 7 चीनी वैज्ञानिक शामिल वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका वाकई अपने फायदे के लिए किसी भी स्तर पर जा सकता है। यदि यकीन नहीं आए तो एआई रिसर्च टीम में शामिल चीनी वैज्ञानिकों से संबंधित मीडिया रिपोर्ट को देख सकते हैं, जिसमें बताया गया है कि अमेरिका की एआई (एआई) रिसर्च में चीनी अप्रवासी वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण योगदान को लेकर अमेरिका में चर्चा हो रही है। दरअसल मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा घोषित नई सुपर इंटेलिजेंस लैब की 11 वैज्ञानिकों की टीम में से 7 वैज्ञानिक चीन से हैं, जबकि बाकी 4 भारत, ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से हैं। यह दिखाता है कि अमेरिका में हो रहा बड़ा और क्रांतिकारी एआई रिसर्च काफी हद तक चीनी वैज्ञानिकों की मदद से आगे बढ़ रहा है। मेटा ही नहीं, बल्कि एप्पल, गूगल, इंटेल, सेल्सफोर्स और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों ने भी चीनी संगठनों के साथ मिलकर कई अहम एआई रिसर्च पेपरों पर काम किया है। माइक्रोसॉफ्ट ने कम से कम 92 अहम पेपरों में साझेदारी की है। 2020 के एक रिसर्च में अनुमान लगाया गया था कि दुनिया के टॉप-एआई वैज्ञानिकों में लगभग एक-तिहाई चीन से हैं, और इनमें से ज्यादातर अमेरिकी संस्थानों में कार्यरत हैं। 2019 में अमेरिका की यूनिवर्सिटीज और कंपनियों में काम कर रहे 100 शीर्ष चीनी शोधकर्ताओं में से 87 आज भी वहीं काम कर रहे हैं, जो चैटजीपीटी के आने के बाद एआई बूम के दौरान भी चीनी टैलेंट के बने रहने को दर्शाता है। अमेरिका और चीन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, 2018 के बाद से दोनों देशों ने एआई पर मिलकर सबसे ज्यादा रिसर्च किया है, जो किसी भी अन्य दो देशों के सहयोग से अधिक है। अमेरिकी अधिकारियों और सिलिकॉन वैली के भीतर चीनी वैज्ञानिकों की भागीदारी को लेकर मौजूद चिंता और इसके फायदे के बीच के द्वंद्व को भी उजागर करता है। अमेरिकी अधिकारियों का एक वर्ग चीन को एआई के क्षेत्र में सबसे बड़ा खतरा मानता है। सिलिकॉन वैली में कुछ लोगों को डर है कि चीनी नागरिक अमेरिकी कंपनियों की तकनीक और रिसर्च को चीन सरकार को दे सकते हैं। ट्रंप सरकार द्वारा अपनाई गई सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी और सिलिकॉन वैली में बढ़ती चीन विरोधी भावना भी इस डर का हिस्सा हैं। जानकार का मानना है कि इन खतरों के बावजूद, चीनी शोधकर्ताओं के साथ काम करने के फायदे कहीं ज्यादा बड़े हैं। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की एक्सपर्ट हेलेन टोनर के अनुसार, चीनी प्रतिभाओं पर पाबंदियां लगाना अमेरिका की एआई बढ़त को नुकसान पहुंचा सकता है और उनके बिना सिलिकॉन वैली वैश्विक दौड़ में पिछड़ सकती है। बहरहाल अमेरिका फस्ट ट्रंप की नीति में शामिल है, अत: इस पर किसी को हैरानी भी नहीं होनी चाहिए। हिदायत/ईएमएस 23 नवंबर 2025