राष्ट्रीय
24-Nov-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। कई बार ओवरइटिंग करने के बावजूद वजन नहीं बढ़ता, लेकिन बीमार पड़ने पर तुरंत वजन कम हो जाता है। आयुर्वेद में इसे शरीर की “पाचन अग्नि” यानी डाइजेस्टिव फायर की कमजोरी से जोड़ा गया है। आयुर्वेद के अनुसार, वजन बढ़ाने की शुरुआत पेट की पाचन शक्ति को सुधारने से होती है। इसके लिए सुबह उठकर गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और पाचन प्रक्रिया तेज होती है। इसके बाद नाश्ते में केला, खजूर और अंजीर का शेक लेना फायदेमंद माना गया है। यह न सिर्फ एनर्जी से भरपूर होता है, बल्कि इसमें प्रोटीन और हेल्दी फैट भी होता है जो वजन बढ़ाने में मदद करता है। दोपहर के भोजन में दाल और सब्जियां शामिल करना जरूरी है। रोटी की मात्रा कम रखें ताकि पाचन आसान हो सके। रात में हल्का लेकिन पौष्टिक भोजन लें, जैसे दलिया या सूप। सोने से पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच घी मिलाकर पीने से शरीर में ताकत और रक्त की मात्रा बढ़ती है। आयुर्वेदिक दृष्टि से घर का बना छैना भी बेहद फायदेमंद है। यह मांसपेशियों को मजबूत करता है और हीमोग्लोबिन बढ़ाता है। आयुर्वेद में कुछ औषधीय उपाय भी बताए गए हैं जो प्राकृतिक रूप से वजन बढ़ाने में सहायक हैं। रात को दूध के साथ अश्वगंधा चूर्ण लेने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और धीरे-धीरे वजन संतुलित होने लगता है। इसके अलावा, घी, केला और धागे वाली मिश्री का संयोजन भी शरीर में स्वस्थ वसा बढ़ाने का सरल उपाय है। च्यवनप्राश का नियमित सेवन पाचन सुधारता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। वजन बढ़ाने के लिए एक विशेष आयुर्वेदिक ड्रिंक का भी उल्लेख मिलता है, जिसमें दूध में बादाम, खजूर, इलायची और केसर मिलाकर पिया जाता है। यह पेय शरीर को आवश्यक पोषक तत्व देता है और प्राकृतिक रूप से वजन बढ़ाने में मदद करता है। आयुर्वेद कहता है कि वजन बढ़ाना सिर्फ खाने से नहीं, बल्कि सही पाचन, नींद और दिनचर्या से जुड़ा है। यदि इन तीनों का संतुलन बना लिया जाए, तो शरीर स्वाभाविक रूप से स्वस्थ और ऊर्जावान बन जाता है। सुदामा/ईएमएस 24 नवंबर 2025