-आत्मघाती हमले की हुई पुष्टि इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पाकिस्तान में आतंकवादियों ने एक बड़े हमले को अंजाम दिया है, जिसमें 6 सुरक्षाकर्मियों समेत 10 लोगों की मौत हो गई। हमले में कई लोगों के घायल होने की खबर है। सोमवार सुबह पेशावर के सद्दार इलाके में स्थित फ्रंटियर कांस्टेबुलरी (एफसी) हेडक्वार्टर पर हुए एक समन्वित आत्मघाती हमले ने पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। आतंकी हमले से संबंधित शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, आत्मघाती विस्फोट और गोलीबारी में कम से कम 6 सुरक्षाकर्मी सहित 10 लोग मारे गए हैं, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। इस हमले को अंजाम देने वाले तीन दहशतगर्दों को भी मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया है। हमले की पुष्टि करते हुए पेशावर के सीसीपीओ मियां सईद ने मीडिया को बताया कि हमला सुबह करीब 8 बजे दो बड़े धमाकों के साथ शुरू हुआ। एक सुसाइड बॉम्बर ने मेन गेट पर विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया। इसके तुरंत बाद अन्य हमलावरों ने गोलीबारी शुरू कर दी। धमाका इतना शक्तिशाली था कि आसपास की इमारतों की खिड़कियां टूट गईं। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए मोर्चा संभाल लिया, जिस कारण आतंकी बिल्डिंग के अंदर घुसने में नाकाम रहे। वहीं खैबर पख्तूनख्वा के आईजी जुल्फिकार हमीद ने पुष्टि की है, कि यह एक हाई-इंटेंसिटी टेरर अटैक था जिसमें सुसाइड बॉम्बर शामिल थे। हमले के बाद शहर में तुरंत ही इमरजेंसी रिस्पॉन्स, रैपिड एक्शन टीमें और पुलिस कमांडो यूनिट्स तैनात कर दी गईं। पूरा सद्दार ज़ोन सुरक्षा घेराबंदी में ले लिया गया। ऑपरेशन जारी, घायलों को एलआरएच भेजा गया हमले के दौरान घायल हुए सुरक्षाकर्मियों को लेडी रीडिंग हॉस्पिटल (एलआरएच) ले जाया गया है। पूरे क्षेत्र में क्लियरेंस ऑपरेशन चलाया गया है और सुरक्षा बल यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि कोई दूसरा हमलावर या विस्फोटक मौजूद न हो। सीसीटीवी फुटेज और घटनास्थल से मिले सबूतों की जांच जारी है। पुलिस और सेना की संयुक्त टीमें हमलावरों के नेटवर्क का पता लगाने के लिए ऑपरेशन चला रही हैं। यहां बताते चलें कि फ्रंटियर कांस्टेबुलरी, जिसका नाम हाल ही में बदलकर एफसी किया गया है, एक घनी आबादी वाले इलाके में स्थित है। सैन्य कैंटोनमेंट के पास है और पाकिस्तान में काउंटर-टेरर ऑपरेशन्स की अग्रिम पंक्ति में काम करती रही है। यही वजह है कि यह आतंकियों के लिए हमेशा एक हाई-वैल्यू टारगेट रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं, कि अफगानिस्तान में बदलते हालात, टीटीपी और बीएलए जैसी आतंकी संगठनों की सक्रियता और पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता मिलकर देश को फिर से 2008–2014 जैसी हिंसक परिस्थितियों में धकेल सकते हैं। तेजी से बढ़ीं आतंकी गतिविधियां पेशावर हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब पूरे पाकिस्तान में आतंकवाद की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। केवल इस साल ही 430 से ज्यादा लोग विभिन्न आतंकी हमलों में मारे गए, जिनमें अधिकांश सुरक्षाकर्मी थे। बलूचिस्तान में उग्रवाद के कारण 782 मौतें दर्ज की गईं। हालिया बड़े हमलों की बात करें तो क्वेटा एफसी हेडक्वार्टर पर कार बम, 3 सितंबर की राजनीतिक रैली में आत्मघाती धमाका, मार्च में बीएलए द्वारा ट्रेन हाईजैकिंग आदि शामिल हैं। यह सिलसिला दर्शाता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद की नई और खतरनाक लहर उभर रही है। क्या फिर लौट रही है दहशतगर्दी की पुरानी छाया? पेशावर का यह हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पाकिस्तान में लौटती दहशतगर्दी की गूंज है। सुरक्षा विशेषज्ञ इसे एक बड़े पैमाने पर योजनाबद्ध हमला मान रहे हैं, जो आने वाले महीनों में और हमलों की चेतावनी भी हो सकता है। पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र के सामने चुनौती अब सिर्फ हमलावरों को रोकने की नहीं, बल्कि बढ़ती मिलिटेंसी की जड़ों को खत्म करने की है। हिदायत/ईएमएस 24नवंबर25