इस मुलाकात से पहले कनाडा ने भारतीय मूल के परिवारों को दिया तोहफा जोहांसबर्ग,(ईएमएस)। भारत और कनाडा के रिश्ते फिर से नई दिशा में बढ़ रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में जी20 समिट में पीएम मोदी और कनाडा के पीएम मार्क कार्नी की मुलाकात की। इस बैठक के बाद दोनों देशों ने पुराने और रुके हुए व्यापार समझौते पर दोबारा बातचीत शुरू करने का ऐलान किया, जिसे रिश्तों में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, लेकिन इस मुलाकात से पहले कनाडा ने भारतीय मूल के परिवारों को बड़ा तोहफा दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा सरकार ने नागरिकता नियमों में बड़े बदलाव का रास्ता साफ कर दिया है। ‘लॉस्ट कनेडियन्स’ कानून को अब रॉयल असेंट मिल गया है। यह बिल सी-3 दरअसल कनाडा की सिटिजनशिप एक्ट 2025 में अहम बदलाव करता है और उन हजारों परिवारों को राहत देगा जो कई सालों से अपने बच्चों के लिए नागरिकता को लेकर परेशान थे। यह बिल इस हफ्ते सीनेट में पास हुआ और रॉयल असेंट मिलने के बाद अब इसे लागू करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कनाडा की इमिग्रेशन मंत्री लीना डियाब ने कहा कि यह कानून पुराने नियमों के कारण बाहर रह गए लोगों को न्याय देगा। उन्होंने बताया कि नया कानून उन परिवारों की मुश्किलें खत्म करेगा जिनके बच्चे या जिन्हें खुद विदेश में पैदा होने की वजह से नागरिकता नहीं मिल सकी थी। बता दें इस बिल का मकसद उस पुराने नियम को खत्म करना है जिसे ‘सेकंड जेनरेशन कट-ऑफ’ कहा जाता था। 2009 में कनाडा ने कानून बदलकर यह तय कर दिया था कि जो कनाडाई नागरिक खुद विदेश में पैदा हुआ है, वह अपने बच्चे को नागरिकता सिर्फ तभी दे सकता है जब बच्चा कनाडा में पैदा हो। इससे बड़ी संख्या में ऐसे लोग बन गए जिन्हें ‘लॉस्ट कनेडियन्स’ कहा जाने लगा यानी ऐसे लोग जो खुद को कनाडा का नागरिक मानते थे लेकिन कानून उनकी राह में रोड़ बन रहा था। कई भारतीय मूल के परिवार ऐसे थे जिनके बच्चे विदेश में पैदा होने या गोद लिए जाने के कारण सिटिजनशिप नहीं पा सके। नया कानून लागू होते ही ऐसे लोग सीधे तौर पर नागरिकता पा सकेंगे, बशर्ते उनका केस पुराने कानून से प्रभावित हुआ हो। साथ ही नया नियम कहता है कि कोई भी कनाडाई नागरिक, जो खुद विदेश में पैदा या गोद लिया गया हो, वह अपने बच्चे को नागरिकता दे सकेगा। भारत के विदेश मंत्रायल ने एक बयान में साफ कहा है कि दोनों देश अब एक हाई-अम्बिशन व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। लक्ष्य है कि 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए। इससे न सिर्फ कारोबार बढ़ेगा बल्कि नौकरी, निवेश और तकनीक साझा करने जैसे कई नए दरवाजे खुल सकते हैं। सिराज/ईएमएस 24नवंबर25 ---------------------------------