लेख
25-Nov-2025
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- संविधान दिवस अर्थात भारत को सचमुच ‘भारत’ बनाने का दिन (संविधान दिवस पर विशेष) हर देश के इतिहास में कुछ पल ऐसे होते हैं, जब उसकी किस्मत बदल जाती है। भारत के लिए ऐसा ही एक ऐतिहासिक और निर्णायक क्षण 26 नवम्बर 1949 को आया—जब संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अंगीकृत किया। यह दस्तावेज़ केवल कानूनों का संग्रह नहीं था; यह भारत की आत्मा, भारत की पहचान और भारत के भविष्य की दिशा बन गया। इसी गौरवशाली क्षण की याद में हर वर्ष हम संविधान दिवस मनाते हैं। राष्ट्रीय महत्व का दिन 26 नवम्बर वह दिन है, जब हम उन मूल्यों को नमन करते हैं जो भारतीय लोकतंत्र की नींव हैं—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। ये चार स्तंभ आज भी हमारे सामाजिक और राजनीतिक ढाँचे को संतुलित रखते हैं। संविधान 26 नवम्बर 1949 को अपनाया गया, लेकिन यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ—जिस दिन भारत एक पूर्ण गणराज्य बना। इसी कारण हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं, जबकि 26 नवम्बर को संविधान अपनाने का दिन। 2015 में भारत सरकार ने 26 नवम्बर को आधिकारिक रूप से संविधान दिवस घोषित किया, ताकि नागरिक—विशेषकर छात्र—अपने संविधान को अधिक गहराई से समझें और उससे प्रेरणा लें। संविधान निर्माण: अद्भुत नेतृत्व और ऐतिहासिक सहयोग संविधान सभा को एक ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता थी जो सभी विचारों को संयम और न्याय के साथ सुने। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इस भूमिका के लिए चुने गए। उन्होंने पूरे धैर्य और संतुलन के साथ सभाओं की अध्यक्षता की और सदस्यों को एकमत करने में अहम भूमिका निभाई। बाद में वे स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बने। संविधान के प्रारूप (Draft) को तैयार करने की बुनियादी जिम्मेदारी डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर को सौंपी गई। यह निर्णय स्वयं संविधान सभा के शीर्ष नेताओं के गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को आंबेडकर की कानूनी विशेषज्ञता पर पूर्ण भरोसा था। जवाहरलाल नेहरू उनकी आधुनिक सोच और तेज़ बुद्धिमत्ता से प्रभावित थे। सरदार वल्लभभाई पटेल उनकी स्पष्टता, साहस और सामाजिक संरचना की गहरी समझ को सम्मान देते थे। इतना ही नहीं, के.एम. मुंशी, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, टी.टी. कृष्णमाचारी और संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राऊ जैसे वरिष्ठ सदस्यों ने भी आंबेडकर के ज्ञान, उनके वैश्विक अनुभव और सुधारवादी दृष्टि का समर्थन किया। डॉ. आंबेडकर के बिना संविधान की कहानी अधूरी है। उन्होंने ऐसे अधिकारों, स्वतंत्रताओं और सुरक्षा की रूपरेखा बनाई, जो आज करोड़ों भारतीयों के जीवन का आधार हैं। गांधी, नेहरू, जिन्ना और आंबेडकर—इन चारों महान नेताओं में आंबेडकर की अकादमिक ऊँचाई सबसे अलग थी। कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से उनकी डिग्रियाँ उन्हें इस ऐतिहासिक भूमिका के लिए सर्वोत्तम बनाती थीं| डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू (आज का डॉ. आंबेडकर नगर) में हुआ था और मध्य प्रदेश के लोग उन पर अपार गर्व करते हैं। एक भारत का सपना: आंबेडकर की अडिग सोच अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में कई ऐसी नीतियाँ बनाईं जिनसे भारतीय समाज में विभाजन गहराया। एक समय ऐसा भी था जब कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने दलितों के लिए अलग क्षेत्र—“अछूतिस्तान”—जैसी अवधारणा की बात कही। लेकिन डॉ. आंबेडकर ने कभी इसका समर्थन नहीं किया। वे पूरी मजबूती से एक एकजुट भारत में विश्वास करते थे—जहाँ हर नागरिक को समान अधिकार और सम्मान मिले। वे चाहें तो विभाजन का समर्थन करके बड़ी राजनीतिक शक्ति पा सकते थे, क्योंकि भारत की बड़ी आबादी वंचित वर्गों से आती है। लेकिन उन्होंने देश को बाँटने की बजाय मजबूत भारत की राह चुनी। तीन वर्षों की मेहनत, 160 से अधिक बैठकें, और दुनिया का सबसे विस्तृत संविधान संविधान सभा ने लगभग तीन वर्षों में 160 से भी अधिक बैठकों के बाद यह दस्तावेज़ तैयार किया। दुनिया के कई देशों के संविधान का अध्ययन किया गया, हर अनुच्छेद पर विस्तृत चर्चा हुई, और तब जाकर आधुनिक, प्रगतिशील और सर्वसमावेशी भारतीय संविधान अस्तित्व में आया। देशभर में कैसे मनाया जाता है संविधान दिवस भारत में संविधान दिवस आज जनभागीदारी का त्योहार बन चुका है— प्रीएम्बल (उद्देशिका) का सामूहिक वाचन विद्यार्थियों के भाषण, वाद-विवाद, निबंध और क्विज विशेषज्ञों द्वारा कार्यशालाएँ और चर्चा सोशल मीडिया और जागरूकता रैलियाँ अधिकारों और कर्तव्यों पर संवाद इन गतिविधियों से नागरिक—विशेषकर युवा—संवैधानिक मूल्यों को समझते और अपनाते हैं। एक नए भारत की नई शपथ संविधान दिवस केवल एक उत्सव नहीं—यह संकल्प है। न्याय, समानता, स्वतंत्रता और एकता को अपनी जीवनशैली में उतारने का संकल्प। आज हम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और डॉ. भीमराव आंबेडकर के दूरदर्शी नेतृत्व को नमन करते हुए यह प्रतिज्ञा करते हैं कि एक मजबूत, समावेशी और न्यायपूर्ण भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे। संविधान केवल एक पुस्तक नहीं—यह भारत की आत्मा है। यह हमें दिशा देता है, सुरक्षा देता है और एक जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देता है। जब हर भारतीय सुरक्षित, सम्मानित और सक्षम महसूस करता है—तभी संविधान का सपना सच होता है। आइए इस दिन प्रतिज्ञा करें कि हम न्याय के लिए खड़े होंगे, स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे और एकता को अपनी शक्ति बनाए रखेंगे। क्योंकि उज्ज्वल भारत की शुरुआत हमसे होती है—और संविधान हमें उसी भारत का सपना दिखाता है। ईएमएस / 25 नवम्बर 25