लेख
25-Nov-2025
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रविवार को दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर प्रदूषण को लेकर युवा विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया गया। इससे नाराज प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कर्मियों के ऊपर मिर्च स्प्रे से हमला कर दिया। युवाओं ने पुलिस से बचने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों के हाथ में हाल ही में सुरक्षा बलों के एनकाउंटर में मारे गए नक्सली कमांडर हिड़मा का पोस्टर था। दिल्ली पुलिस पर किए गए मिर्च स्प्रे से दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हो गए, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। पहली बार किसी विरोध प्रदर्शन में पुलिस के ऊपर मिर्च स्प्रे का उपयोग किया गया है। प्रदर्शनकारी बड़े उग्र थे। वह पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को तोड़कर आगे बढ़ना चाहते थे। दिल्ली पुलिस उनसे प्रदर्शन स्थल को खाली करने की अपील कर रही थी। प्रदर्शनकारी नहीं माने। देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार इस तरह का उग्र प्रदर्शन देखने को मिला, जिसमें प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे, कितने हिड़मा मारोगे, हर घर से हिड़मा निकलेगा। नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला ने माना, आंदोलनकारियों का यह प्रदर्शन हिंसक था। मुट्ठी भर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। पहली बार पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की आंखों में मिर्च स्प्रे चला गया था। उनका इलाज राम मनोहर लोहिया अस्पताल में चल रहा है। पुलिस कर्मियों की आंखों मे जलन और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। एंबुलेंस में घायल पुलिसकर्मियों को लेकर अस्पताल जाना पड़ा। पुलिस ने 15 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। सारे प्रदर्शनकारी पढ़े-लिखे युवा थे। इस प्रदर्शन ने दिल्ली पुलिस को चिंता में डाल दिया है। महंगाई, बेरोजगारी, दिल्ली मे प्रदूषण और विभिन्न समस्याओं को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन की बाढ़ आ गई है। दिल्ली पुलिस को रोजाना प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रदर्शन इसी तरह से हिंसक होंगे तो पुलिस की परेशानी और भी बढ़ जाएगी। प्रदर्शनकारियों ने कानून व्यवस्था की अनदेखी करके जिस तरह से पुलिस पर हमला करने की कोशिश की है, जिस तरह के नारे लगाए गये हैं, उसने दिल्ली पुलिस की चिंता को बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर पहले भी युवाओं ने प्रदर्शन किया था। पुलिस ने सख्ती के साथ उसे रोक दिया था। दोबारा यह विरोध प्रदर्शन रविवार की शाम को इंडिया गेट के पास सी हेक्सागन में किया गया। दिल्ली पुलिस को अंदाज नहीं था, यह प्रदर्शन इतना उग्र हो जाएगा। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर आम जनमानस में भारी रोष है। युवाओं में पुलिस के खिलाफ आक्रोश देखने को मिल रहा है। पुलिस ने आंदोलनकारियों पर एफआईआर दर्ज की है। पुलिस पर हमला करने और सरकारी काम में बाधा डालने, सड़क जाम करने का आरोप लगाया है। युवाओं में महंगाई, बेरोजगारी, परीक्षाओं में परचे लीक होने तथा नौकरी नहीं मिलने के कारण भारी नाराजी है। छोटी-मोटी समस्याओं पर उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। आंदोलन, प्रदर्शन, धरना इत्यादि पर सरकार की दमनकारी नीति और असंवेदनशीलता से प्रदर्शनकारी उग्र हो रहे हैं। धरना-प्रदर्शन और आंदोलन के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में युवा अब विद्रोही बनकर सड़कों पर उतर रहे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों को समय रहते करोडों पढ़े-लिखे युवा, जो कई वर्षों से बेरोजगार हैं, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है ना ही उन्हें रोजगार मिल रहा है, प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी नहीं मिल रही है, ऐसी स्थिति में युवाओं का आक्रोश अब सड़कों पर दिखने लगा है। आंदोलनकारियों ने जिस तरह से मारे गए नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा का पोस्टर दिखाकर आक्रोश का प्रदर्शन किया है। उन्होंने सरकार को एक तरह की चेतावनी दी है। दिल्ली में प्रदूषण की हालत एक दशक से ज्यादा समय से खराब है। दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने से बीमारियां फैल रही हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। हर साल सरकार नए-नए दावे करती है। समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ, उल्टे प्रदूषण साल दर साल बढ़ता जा रहा है। दिल्ली और देश के युवा आक्रोषित हैं। इस बार आंदोलनकारी पुलिस से मुकाबला करने की तैयारी करके आए थे। जब-जब सामाजिक असमानता बढ़ती है लोगों को पेट भरने और रहने के लिए जब भोजन और जगह नहीं मिलती है तब इस तरह के आंदोलन बड़े उग्र होते हैं। पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से नक्सल आंदोलन 1970 के दशक में शुरू हुआ था। धीरे-धीरे करके यह देश के कई राज्यों में फैल गया। वर्तमान में जिस तरह से करोड़ों शिक्षित युवा और करोड़ों मजदूर बेरोजगार होकर घूम रहे हैं। मनरेगा में भी इन्हें मजदूरी नहीं मिल रही है। सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी नहीं मिल रही है। महंगाई बढ़ती चली जा रही है। इसके कारण देश में सामाजिक असंतोष बढ़ता चला जा रहा है। केंद्र सरकार को दिल्ली के इस आंदोलन को गंभीरता से लेना चाहिए। लोगों की समस्याओं का समाधान हो, एक वर्ग की पूंजी बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है। वहीं मध्यम और निम्न वर्ग की दैनिक ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। करोड़ों लोग कर्ज लेकर किसी तरह से जरुरतें पूरी कर रहे हैं। महंगाई सुरसा की तरह बढ़ रही है। सरकार को समय रहते वास्तविकता को स्वीकार करते हुए गरीब और मध्यम वर्ग के लिए तुरंत कोई उपाय करने होंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो भारत में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रख पाना मुश्किल होगा। यदि लोगों की अपनी न्यूनतम ज़रूरतें पूरी नहीं होगी, तो वह आक्रोषित होगा। पिछले एक दशक से यह आक्रोश युवा वर्ग में बढ़ता ही जा रहा है। किसानो, युवाओं तथा अन्य सामूह में आत्महत्या की घटनाएं जिस तरीके से देखने को मिल रहीं हैं, वह लोगों में आक्रोश पैदा कर रही हैं। समय रहते इसका हल निकाला जाना जरूरी है। ईएमएस / 25 नवम्बर 25