-हालात इतने खराब हो गए कि लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी चलाना भी मुश्किल काबुल,(ईएमएस)। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जब रात होती है तो यह पूरा इलाका अंधेरे में डूब जाता है। काली रात में कोई कह नहीं सकता कि यहां शहर भी है। इसका कारण है लाइट का न होना। सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक के डर से काबुल में लाइट कट कर दी जाती है? नहीं, दरअसल इस समय काबुल दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ सर्दियों के बीच बिजली का गंभीर संकट तो दूसरी तरफ पाकिस्तान से लौट रहे हजारों अफगान शरणार्थियों के पास ना घर है और ना जरूरी दस्तावेज। हालात इतने खराब हैं कि आम लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी चलाना भी मुश्किल हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक काबुल के कई इलाकों में लोग दिनभर बगैर बिजली के रहने को मजबूर हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि 24 घंटे में मुश्किल से एक या दो घंटे बिजली आती है। वह भी ऐसे समय पर जब शहर सो रहा होता है। एक शख्स जो जिला 17 में रहते हैं ने बताया कि बिजली आती ही नहीं है। दस-पंद्रह मिनट के बाद फिर चली जाती है। फैक्ट्रियां, दुकानें, घर सब बिजली से चलते हैं, लेकिन कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं। जिला 10 के अहमद अली बताते हैं, ‘न खाने के वक्त बिजली, न नमाज के वक्त। जब सो रहे हों तभी आती है। इसका क्या फायदा?’ लोग खुलकर कह रहे हैं कि सरकार ने बिजली सुधारने का वादा किया था लेकिन जमीनी हालात पहले से भी खराब हैं। अफगान पावर कंपनी का दावा है कि समस्या कई कारणों से बढ़ी है। सूखा, पुराने ट्रांसमिशन लाइन्स और बड़ी संख्या में लौटकर आए प्रवासी इसकी वजह हैं। कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक नेटवर्क सुधारने के लिए अरबों अफगानी मुद्रा चाहिए और काबुल में 42 पुरानी लाइनों को बदला भी जा चुका है, लेकिन बढ़ते लोड के कारण बार-बार ट्रिपिंग हो रही है। इसी बीच पाकिस्तान से वापस भेजे जा रहे अफगान शरणार्थियों की परेशानी भी बढ़ती जा रही है। हजारों परिवार कड़ाके की ठंड में तंबू और अस्थायी शेल्टर में रहने को मजबूर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान से लौटे एक शख्स कहते हैं कि सबसे बड़ा मसला सिर पर छत का है। देश लौटते ही समझ नहीं आता जाएं कहां। सरकार हमारी मदद करे। सड़कों और खाली जगहों में रहने वाले कई लोगों के लिए भोजन और गर्म कपड़े भी मुश्किल से मिल पा रहे हैं। सबसे बड़ी दिक्कत ‘तजकीरा’ यानी इलेक्ट्रॉनिक आईडी कार्ड पाने की है। उन्होंने बताया कि हम प्रांत जाते हैं तो बोलते हैं वहीं बनवाओ। कोई प्रक्रिया साफ नहीं है। अगर सरकार हमें ग्रुप में आईडी दे दे तो बहुत आसान हो जाएगा। सरकार ने दावा किया है कि अलग कैंप और स्पेशल काउंटर लगाए हैं, ताकि पाकिस्तान और ईरान से लौटे लोगों को पहले सुविधा दी जा सके। कई प्रवासी कहते हैं कि पाकिस्तान में तनाव बढ़ने के बाद उनके साथ सख्ती और बुरा व्यवहार बढ़ गया था। अब मजबूरन लौटने के बाद भी जिंदगी संभालना आसान नहीं है। घर नहीं, दस्तावेज नहीं और रोजगार भी नहीं, ऐसे हालात में ठंड उनकी सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है। छोटे-छोट बचचों को लेकर खुले आसमान के नीचे रातें गुजारनी पड़ रही है सरकार हमारी मदद करें। सिराज/ईएमएस 25 नवंबर 2025