वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिकी क्रिप्टोकरेंसी बाजार से जुड़े कथित भ्रष्टाचार और राजनीतिक लाभ के आरोपों ने बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। हालिया क्रिप्टो मार्केट क्रैश, जिसमें करीब 1.2 ट्रिलियन डॉलर मूल्य खत्म हो गया, अब केवल आर्थिक मुद्दा नहीं बचा है। इसके बीच आरोप तेजी से चर्चाओं में हैं कि क्रिप्टो कारोबार, दान और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़े फैसलों के बीच जटिल और विवादित संबंध हो सकता है। रिपोर्टों के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से क्रिप्टो के प्रति सकारात्मक रुख रखते हैं। उन्होंने न केवल सार्वजनिक रूप से डिजिटल करेंसी का समर्थन किया, बल्कि अपने नाम से जुड़े टोकन लांच किए। इसतरह कुछ मीडिया और विश्लेषक समूहों ने दावा किया है कि क्रिप्टो बाजार से जुड़े कुछ कारोबारी, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग, सिक्योरिटी फ्रॉड और अवैध ट्रांजैक्शनों के आरोप थे, को ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रपति क्षमादान मिला। कांग्रेस में अब यह बहस तेज हुई है, कि क्रिप्टोकरेंसी की गुमनामी राजनीतिक फंडिंग के लिए नई चुनौती बन चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशक, विवादास्पद कारोबारी या कोई भी गुमनाम इकाई टोकन के द्वारा राजनीतिक असर खरीद सकती है। इसकारण कुछ सांसद क्रिप्टो फंडिंग पर सख्त नियंत्रण की मांग कर रहे हैं, ताकि चुनावी प्रक्रिया पर बाहरी प्रभाव को रोका जा सके। विश्लेषकों का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप से जुड़े कारोबारी उपक्रमों में क्रिप्टो निवेशों की भूमिका पर सवाल उठना चुनावी पारदर्शिता के लिए गंभीर चिंता का विषय है। यदि किसी राजनीतिक नेता के व्यापार में गुमनाम क्रिप्टो फंड आता है और कुछ समय बाद वहीं व्यक्ति या संस्था जांच से बच निकलती है, तब यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इसी बीच, क्रिप्टो उद्योग के समर्थकों का कहना है कि आरोप बिना प्रमाण हैं और उद्योग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। उनका तर्क है कि क्रिप्टो तकनीक पारदर्शिता और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है, और बाजार में गिरावट विश्वव्यापी आर्थिक अस्थिरता का हिस्सा है, न कि राजनीतिक सौदों का परिणाम। आशीष/ईएमएस 25 नवंबर 2025