26-Nov-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। अफगानिस्तान के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री अलहाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी की भारत यात्रा ने भारत–अफगानिस्तान संबंधों में नई गर्माहट ला दी है। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच इतने बड़े स्तर पर व्यावहारिक प्रगति दर्ज की गई है। इस प्रगति से पाकिस्तानी शीर्ष नेतृत्व में काफी चिंता देखी जा रही है। अफगानिस्तान के मंत्री अज़ीज़ी ने घोषणा की कि भारत–अफगान वीज़ा संबंधी मुद्दे पूरी तरह सुलझा लिए गए हैं, और अब अफगान व्यापारी और आम नागरिक काबुल स्थित भारतीय दूतावास से आसानी से व्यापारिक और चिकित्सा वीज़ा प्राप्त कर सकेंगे। चिकित्सा वीज़ा की बहाली विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत अफगान नागरिकों के लिए सबसे भरोसेमंद चिकित्सा गंतव्य माना जाता है। इस यात्रा के दौरान व्यापार, कनेक्टिविटी, बैंकिंग, एफएसएसएआई शुल्क में छूट, संयुक्त वाणिज्य मंडल और संयुक्त कार्य समूह को सक्रिय करने सहित कई अटके हुए मुद्दों पर अहम सहमति बनी। दोनों देशों के बीच कपड़ा व्यापार बढ़ाने को लेकर भी उच्चस्तरीय वार्ता हुई। अफगानिस्तान भारत की कपास और परिधान क्षेत्र की विशेषज्ञता का लाभ उठाना चाहता है, खासकर इसलिए क्योंकि भारत वर्तमान में अफगानिस्तान के लिए कपड़ा–परिधान का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। यहां बताते चलें कि अज़ीज़ी ने भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर द्विपक्षीय व्यापार को 1 अरब डॉलर से अधिक तक ले जाने का लक्ष्य दोहराया। अफगानिस्तान ने भारत को खनन, कृषि, स्वास्थ्य और निवेश क्षेत्रों में नए अवसर प्रदान करने की इच्छा जताई है। सीमा तनाव और व्यापार रुकावटों के बीच काबुल ने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान पर अत्यधिक निर्भरता अब उसके लिए नुकसानदेह है। पाकिस्तान–अफगान सीमा पर हालिया झड़पें और हजारों ट्रकों का फंसना काबुल के इस रुख को और मजबूत करता है। विशेष रूप से, अज़ीज़ी के बयान— भारत बेहतर गुणवत्ता और बेहतर शर्तों वाला साझेदार है, ने दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। पाकिस्तान की ट्रांज़िट शक्ति को चुनौती देते हुए भारत–अफगान एयर कॉरिडोर, चाबहार पोर्ट मार्ग और मध्य एशिया के जमीनी मार्गों को पुनः सक्रिय करने की दिशा में नया मोड़ देखने को मिला है। अफगानिस्तान द्वारा पाकिस्तान की दवाइयों के आयात पर तीन माह का अस्थायी प्रतिबंध भी इसी रणनीतिक पुनर्संतुलन का संकेत माना जा रहा है। कुल मिलाकर, अज़ीज़ी की यात्रा केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक, मानवीय और सामरिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक रही। इससे पहले अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा ने संवाद का मार्ग खोला था, जिसे अब वाणिज्यिक स्तर पर आगे बढ़ाया गया है। दो सप्ताह में हुई इन दो उच्चस्तरीय यात्राओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान के प्रभाव से बाहर निकलकर भारत के साथ दीर्घकालिक साझेदारी चाहता है। भारत–अफगान संबंधों में यह नई गर्माहट दक्षिण एशिया के बदलते समीकरणों में एक बड़े बदलाव का संकेत है, जहाँ भारत और अफगानिस्तान एक बार फिर स्वाभाविक, विश्वसनीय और रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहे हैं। हिदायत/ईएमएस 26 नवंबर 2025