नई दिल्ली,(ईएमएस)। उत्तरी इथियोपिया के अफ़ार क्षेत्र में सक्रिय हुए लंबे समय से निष्क्रिय हेली गुब्बी ज्वालामुखी के विस्फोट का प्रभाव अब भारत तक पहुँचा है। शनिवार को हुए इस विस्फोट में 14 किलोमीटर तक राख का विशाल गुबार उठा, जो हवा के साथ लाल सागर पार कर यमन, ओमान, पाकिस्तान और अंततः उत्तरी भारत, विशेषकर दिल्ली–एनसीआर, के आसमान तक पहुँच गया। चूंकि यहां वायु प्रदूषण जानलेवा बना हुआ है, ऐसे में यह गुबार लोगों में चिंता का कारण बन गया, अब पूछा जा रहा आखिर इससे दिल्ली को कब छुटकारा मिलेगा। जानकारी अनुसार सोमवार देर रात राख का बादल भारत में दाखिल हुआ और इसके चलते पहले से ही जहरीली हवा से जूझ रहे दिल्लीवासियों के लिए चिंता और बढ़ गई। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह राख का बादल मंगलवार (25 नवंबर) शाम तक भारत से निकल जाएगा। क्या है ज्वालामुखीय राख? ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाली राख बेहद महीन, कठोर और घर्षणकारी पदार्थ होता है। इसमें चट्टान के छोटे–छोटे कण, खनिज, ज्वालामुखीय काँच तथा सल्फर डाइऑक्साइड जैसे गैसें शामिल होती हैं। यह पानी में घुलती नहीं है और हवा के सहारे हजारों किलोमीटर तक जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इथियोपिया की राख में सल्फर डाइऑक्साइड, महीन चट्टानी कण और काँच के बारीक टुकड़े शामिल हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम बन सकते हैं। सेहत पर क्या असर? वैज्ञानिकों के अनुसार, ज्वालामुखीय राख के संपर्क में आने से आँखों में जलन और लाल होना, गले में खराश या जलन, लगातार खांसी, सिरदर्द और थकान, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के मरीजों के लिए यह स्थिति और भी अधिक खतरनाक हो सकती है, क्योंकि महीन कण सीधे फेफड़ों में जाकर सूजन बढ़ा सकते हैं। ज्वालामुखी गैसें भी होती हैं खतरनाक ज्वालामुखी गैसें भी गंभीर खतरा पैदा करती हैं। अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, कार्बन डाइऑक्साइड जैसी अदृश्य और गंधहीन गैसों को सांस में लेने से चक्कर आना, उल्टी, साँस की तकलीफ और गंभीर स्थिति में मृत्यु तक का जोखिम हो सकता है। विमानन और यात्रा पर असर राख के बादल को देखते हुए भारत के विमानन नियामक डीजीसीए ने सभी एयरलाइनों को एडवाइजरी जारी की है कि वे प्रभावित क्षेत्रों से उड़ान मार्ग बदलें। ज्वालामुखीय राख विमान के इंजन और विंडशील्ड को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है। दिल्ली में फिर अलर्ट पहले से खतरनाक स्तर के प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली में इस अतिरिक्त खतरे को देखते हुए सरकार ने ग्रेप-3 के तहत सख्त कदम उठाए हैं। नए निर्देशों के अनुसार, सरकारी और निजी कार्यालयों में केवल 50 फीसद कर्मचारी ही उपस्थित होंगे, जबकि बाकी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से वर्क फ्रॉम होम करना होगा। ज्वालामुखी की राख के भारत से बाहर निकलने तक विशेषज्ञों ने नागरिकों को घर में रहने, बाहर जाते समय मास्क पहनने और बच्चों–बुजुर्गों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है। हिदायत/ईएमएस 26 नवंबर 2025