राष्ट्रीय
28-Nov-2025


भाजपा और जनता दल (एस) मिलकर डीके को समर्थन देने की बना रहे रणनीति, भाजपा ला कसती है अविश्वास प्रस्ताव 30-35 विधायक तोड़ शिवकुमार बन सकते हैं सीएम -सरकार बनाने के लिए भाजपा के 66 और जनता दल (एस) के 19 विधायकों का मिल सकता है समर्थन -क्या कांग्रेस का सबसे बड़ा किला ढह जाएगा, वेट एंड वॉच मोड में भाजपा नई दिल्ली(ईएमएस)। कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सियासी तलवार खिंच चुकी है। अब ये मामला कांग्रेस हाईकमान के पाले में है। भाजपा इस मामले में कूदने के बजाए वेट एंड वाच के मोड में खड़ी नजर आ रही है, क्योंकि उसे इसी रणनीति में अपना सियासी लाभ दिख रहा है। उधर, राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर पूरा राजनीतिक खेल गर्म है। इसी बीच भाजपा ने दावा किया है कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार गिर सकती है। भाजपा नेता सुनील कुमार ने अविश्वास प्रस्ताव तक की बात कही है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा और जनता दल (एस) शिवकुमार का साथ देने के लिए तैयार हैं। बस डीके को कांग्रेस के 30-35 विधायक तोडऩे होंगे कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें होती हैं, यानी किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 113 सीटें चाहिए। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आंधी चली और पार्टी ने 135 सीटें अपने नाम कीं। भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद केवल 66 सीटें जीत पाई। वहीं जनता दल (सेक्युलर) के खाते में 19 सीटें गईं। अब यदि भाजपा और जेडीएस की सीटें जोड़ दी जाएं तो कुल मिलाकर 85 सीटें बनती हैं। इसका मतलब है कि यह गठबंधन बहुमत से 28 सीटें दूर है। अगर किसी तरह 28 सीटें जुड़ती हैं, तो भाजपा-जेडीएस गठबंधन 113 के बहुमत तक पहुंच सकता है। डीके कर सकते हैं बगावत पूरा समीकरण तभी बदल सकता है अगर डीके शिवकुमार कांग्रेस से नाराज होकर बगावत करें। अगर वह करीब 30 विधायकों को अपने साथ कर लेते हैं, तो कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन की जमीन तैयार हो सकती है। यह संभावना भी जताई जा रही है कि शिवकुमार, महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे की तरह, बगावत के बाद मुख्यमंत्री पद तक पहुंच सकते हैं। याद दिला दें महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बड़ा विद्रोह कर कई विधायकों के साथ एनडीए का साथ दिया था और फिर मुख्यमंत्री बने थे। कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही समीकरण बन सकता है। डीके शिवकुमार कितने विधायकों पर प्रभाव रखते हैं, इस पर कोई आधिकारिक या स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। हालांकि खुद शिवकुमार दावा करते रहे हैं कि उनके पास करीब 138 विधायकों का समर्थन है। यह दावा कितना सच है, यह आने वाले दिनों की राजनीति तय करेगी। सीएम की लड़ाई हाईकमान के पाले में कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जिस तरह सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच आर-पार की जंग छिड़ गई है, उसके चलते कांग्रेस का सबसे बड़ा किला कहीं ढह न जाए। कर्नाटक में कांग्रेस का संकट गहराता ही जा रहा है। शिवकुमार और सिद्धारमैया में कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है और अब फैसला बेंगलुरू से नहीं, बल्कि दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के दरबार से होगा। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच कर्नाटक कांग्रेस दो धड़ों में बंटी हुई है। शिवकुमार के समर्थक विधायक और नेता खुलकर उतर गए हैं कि मुख्यमंत्री बदला जाए। वहीं, सीएम सिद्धारमैया भी अपनी सियासी लॉबिंग तेज कर दी है और अपनी कुर्सी को बचाए रखने के लिए दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से मिलेंगे। देश के तीन राज्यों में कांग्रेस अपने दम पर सत्ता में है। कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना की कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में उसका सबसे बड़ा किला कर्नाटक ही है, लेकिन कुछ समय से राज्य में सियासी टकराव चल रहा है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है, जिससे पार्टी की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई है। ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले से छिड़ी जंग कर्नाटक में यह घमासान तब तेज हुआ है जब सिद्धारमैया सरकार के ढाई साल पूरे हुए हैं। कहा जा रहा है कि सरकार गठन के दौरान भी सीएम पद को लेकर जारी खींचतान के बाद ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ था। बताया जा रहा है कि 2023 में कांग्रेस की अप्रत्याशित जीत के बाद यह तय हुआ था कि मुख्यमंत्री पद को ढाई-ढाई साल के लिए बांटा जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत सिद्धारमैया पहले ढाई साल सीएम रहेंगे और उसके बाद डीके शिवकुमार सत्ता संभालेंगे। दरअसल, सिद्धारमैया का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है और तभी से डीके शिवकुमार खेमे के विधायक अब उन्हें सीएम बनाने की बात कह रहे हैं। डीके शिवकुमार के भी दिल्ली आकर गांधी परिवार से मिलने की बात कही जा रही है। वहीं, सिद्धारमैया कह रहे हैं कि मेरी ताकत घटी नहीं, बढ़ी है। उन्होंने कहा कि विधायक दिल्ली जाएं, कोई समस्या नहीं। आखिरी फैसला हाईकमान का है। साथ ही कहा कि 2023 में जो जनादेश मिला था, वह पाँच साल के लिए था। वेट एंड वॉच के मूड में खड़ी भाजपा कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच छिड़ी लड़ाई में भाजपा वेट एंड वॉच की रणनीति पर चल रही है। वह अपनी तरफ से कोई पहल करती नहीं दिख रही है। भाजपा नेता इसे कांग्रेस के घर का झगड़ा बता रहे हैं। कर्नाटक से आने वाले एक केंद्रीय मंत्री वी सोमन्ना ने कहा है कि भाजपा को डीके शिवकुमार की जरूरत नहीं है। भाजपा ने कहा कि अगर कांग्रेस के पास हिम्मत है तो वह विधानसभा भंग करे और राज्य में चुनाव करवाए। उन्होंने आगे कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा बहुत मजबूत है। उसको डीके की जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक की हालत खराब है। सडक़ों की हालत बहुत बुरी है, कांग्रेस पार्टी पावर शेयरिंग के ड्रामे में उलझी हुई है। कर्नाटक की जनता ने इससे भ्रष्ट सरकार नहीं देखी है। विनोद उपाध्याय / 28 नवम्बर, 2028