नई दिल्ली(ईएमएस)। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जिहाद इस्लाम की पवित्र शब्दावली है और देश के हर नागरिक को इसका सही अर्थ पता होना चाहिए। उन्होंने कहा, “जिहाद का मतलब कभी आतंकवाद नहीं रहा। अगर किसी को इस्लाम से समस्या है, तो वह खुलकर कहे कि उसे मुसलमान पसंद नहीं। लेकिन खुद को हिंदू या किसी अन्य धर्म का अनुयायी बताकर इस्लाम को गलत तरीके से परिभाषित करना और नफरत फैलाना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मौलाना मदनी ने लाल किला हमले समेत सभी आतंकी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए कहा, हर हमले से दोहरा नुकसान होता है। बेगुनाहों की जान जाती है और इस्लाम बदनाम होता है। इसलिए हम इनकी सबसे सख्त निंदा करते हैं। उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, कोई कहता है कि आतंकवादी को मारना ही जिहाद है, तो असल में जिहाद तो हम मुसलमान कर रहे हैं, क्योंकि हम ही आतंकवाद का सबसे ज्यादा शिकार हैं और उसकी सबसे ज्यादा मुखालफत करते हैं। मुस्लिम वोटों के बंटवारे के सवाल पर मौलाना ने साफ इनकार किया। उन्होंने कहा, मैं राजनीति से दूर रहता हूं, न इसमें दिलचस्पी रखता हूं। मेरे लिए राष्ट्र निर्माण महत्वपूर्ण है, किसी एक समुदाय की राजनीति नहीं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में कोई भी राजनीतिक दल सिर्फ मुस्लिम हितों के लिए नहीं उभरेगा और न उभरना चाहिए। राजनीति को सिर्फ मुस्लिम नजरिए से नहीं, पूरे देश के विकास के नजरिए से देखना चाहिए। मौलाना ने देश की बुनियादी समस्याओं की ओर ध्यान खींचा। उन्होंने कहा, आज सबसे बड़ा प्रदूषण हवा-पानी का नहीं, दिमाग का है। नफरत और अफवाहों से भरे दिमाग देश को खोखला कर रहे हैं। अगर राजनीति प्रदूषण, गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूल मुद्दों पर केंद्रित हो, तो देश बहुत आगे बढ़ सकता है। मौलाना मदनी का संदेश साफ था इस्लाम और जिहाद को गलत तरीके से पेश कर नफरत फैलाना बंद हो, देश को एकजुट रखने के लिए मूल समस्याओं पर ध्यान दिया जाए। वीरेंद्र/ईएमएस/03दिसंबर2025