क्षेत्रीय
03-Dec-2025
...


डीआरएम त्यागी ने शहीद कर्मचारियों के स्मारक पर पुष्प अर्पित कर दी श्रधांजलि भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2-3 दिस बर 1984 की दरमियानी रात को घटित भोपाल गैस त्रासदी विश्व की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी। इस त्रासदी में शहीद एवं दिवंगत सभी रेल कर्मचारियों के लिए समर्पित भोपाल स्टेशन पर स्थापित स्मारक पर दिनांक 03 दिसम्बरर को डीआरएम श्री पंकज त्यागी सहित अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने पुष्प अर्पित और मौन धारण कर स्मरण करते हुए श्रधांजलि दी। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनाइट नामक जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों की जान गई और लाखों लोग प्रभावित हुए। इसी दौरान जब पूरा शहर भय और अफरा-तफरी में डूबा हुआ था, भोपाल स्टेशन पर पदस्थ स्टेशन प्रबंधक हरीश धुर्वे एवं उनके साथ अन्य 44 रेल कर्मचारियों ने मानव सेवा और अपने कर्तव्य का ऐसा अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसकी मिसाल दुर्लभ है। जहरीली गैस से प्रभावित वातावरण में मुंह पर कपड़ा बांधकर ये सभी कर्मचारी ड्यूटी पर डटे रहे ताकि बीना एवं इटारसी की दिशा से आने वाली ट्रेनों को भोपाल स्टेशन पर प्रवेश से रोका जा सके। इन रेलकर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए - बीना दिशा से आने वाली ट्रेनों को सलामतपुर, विदिशा में इटारसी दिशा से आने वाली ट्रेनों को मिसरोद, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज एवं बुदनी के आसपास सुरक्षित रूप से रोक दिया। इस साहसिक कार्रवाई के परिणामस्वरूप दो दर्जन से अधिक ट्रेनें भोपाल पहुँचने से पहले ही रुक गईं, जिससे उनमें सवार हजारों यात्रियों का जीवन सुरक्षित बच गया। यदि ये ट्रेनें भोपाल स्टेशन तक पहुँच जातीं तो यात्री जहरीली गैस की चपेट में आकर गंभीर जोखिम में पड़ सकते थे। कर्तव्य-निष्ठा का परिचय देते हुए स्टेशन प्रबंधक हरीश धुर्वे उसी रात शहीद हो गए, जबकि शेष 44 रेल कर्मचारियों में से कई ने एक सप्ताह के भीतर तथा कुछ ने वर्षों तक इलाज के बाद अपने प्राण त्याग दिए। इन सभी 45 अमर रेल-वीरों की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के उद्देश्य से भोपाल स्टेशन परिसर में ‘भोपाल गैस त्रासदी रेलकर्मी स्मारक’ निर्मित किया गया है, जिसमें सभी शहीद एवं दिवंगत कर्मचारियों के नाम अंकित हैं। यह स्मारक न केवल उनके बलिदान का प्रतीक है, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को कर्तव्य, मानव सेवा और साहस के सर्वोच्च आदर्शों का संदेश भी देता है। आशीष पाराशर, 03 दिसम्बर, 2025