नई दिल्ली,(ईएमएस)! कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जाति जनगणना को लेकर गंभीर आरोप लगाए और इसे देश के बहुजनों के साथ खुला विश्वासघात करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार के पास जाति जनगणना को लेकर कोई ठोस रूपरेखा, समयबद्ध योजना या जनता और संसद से संवाद करने की कोई योजना नहीं है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को लोकसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर का हवाला देते हुए कहा, कि सरकार ने न तो जाति जनगणना की प्रक्रिया का स्पष्ट ब्यौरा दिया और न ही इसके लिए कोई रणनीति बनाई। उन्होंने कहा, संसद में मैंने सरकार से जाति जनगणना पर सवाल पूछा। उनका जवाब चौंकाने वाला है– न ठोस रूपरेखा, न समयबद्ध योजना, न संसद में चर्चा, और न ही जनता से संवाद। दूसरे राज्यों की सफल जाति जनगणनाओं से सीखने की कोई इच्छा नहीं दिखाई जा रही। यह बहुजनों के साथ खुला विश्वासघात है। दरअसल राहुल गांधी ने अपने लिखित प्रश्न में पूछा था, कि दशकीय जनगणना की तैयारी के प्रमुख प्रक्रियात्मक कदम क्या हैं, जिसमें प्रश्नों की तैयारी और कार्यक्रम निर्धारण शामिल हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार जनगणना के सवालों पर जनता या जनप्रतिनिधियों से इनपुट लेने की कोई योजना बना रही है और अलग-अलग राज्यों में किए गए जाति सर्वेक्षणों के अनुभवों का अध्ययन किया जा रहा है या नहीं। सरकार का जवाब सरकार की ओर से अपने लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानाथ राय ने जानकारी दी, कि आगामी जनगणना दो चरणों में आयोजित होगी। पहले चरण में मकान सूचीकरण और आवास गणना की जाएगी, जबकि दूसरे चरण में जनसंख्या की गणना होगी। उन्होंने बताया कि जनसंख्या गणना फरवरी 2027 में होगी, जिसकी संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि रखी गई है। वहीं, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फ से ढके दुर्गम क्षेत्रों में यह गणना सितंबर 2026 में होगी। इसी के साथ ही नित्यानाथ राय ने कहा, जनगणना का इतिहास 150 वर्षों से अधिक पुराना है। प्रत्येक जनगणना से पहले पिछले अनुभवों और संबंधित हितधारकों के सुझावों को ध्यान में रखा जाता है। आगामी जनगणना भी इसी प्रक्रिया का पालन करेगी। बहरहाल राहुल गांधी के आरोप और सरकार की प्रतिक्रिया के बीच जाति जनगणना को लेकर राजनीतिक बहस तेज होने की उम्मीद है। हिदायत/ईएमएस 03दिसंबर25