04-Dec-2025
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करांची,(ईएमएस)। पाकिस्तान में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) का संक्रमण अब महामारी का रूप ले चुका है। बीते 15 सालों में पाकिस्तान में एचआईवी के मामलों में 200 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। यानी पाकिस्तान में मामले तीन गुना बढ़े हैं। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010 में जहां कुल मामले 16000 थे, वहीं 2024 तक बढ़कर 48000 हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, पाकिस्तान पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में एचआईवी की सबसे तेजी से फैलने वाली महामारी का सामना कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी विश्व एड्स दिवस के मौके पर डब्ल्यूएचओ और यूएनएआईडीएस द्वारा आयोजित जागरूकता वॉक में साझा की गई। सबसे चिंताजनक बात यह है कि पहले एचआईवी मुख्य रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों (जैसे नशीले पदार्थों का इंजेक्शन लेने वाले) तक सीमित था, लेकिन अब यह बच्चों, जीवनसाथियों और सामान्य आबादी तक तेजी से फैल रहा है। इलाज और जांच सुविधाओं तक सीमित पहुंच रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि पाकिस्तान में वास्तव में करीब 3.5 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित हैं, लेकिन इनमें से लगभग 80 प्रतिशत लोग अपनी स्थिति से पूरी तरह अनजान हैं। बच्चों पर इसका असर विशेष रूप से भयावह है। 0-14 साल के बच्चों में नए एचआईवी मामले 2010 में 530 थे, जो 2023 तक बढ़कर 1800 हो गए। पिछले दशक में एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एटीआर) लेने वाले मरीजों की संख्या में 8 गुना इजाफा हुआ है। 2013 में 6500 से बढ़कर 2024 में 55500 हो गई। इसतरह एटीआर केंद्रों की संख्या 2010 में 13 से बढ़कर 2025 में 95 हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में केवल 21 फीसदी संक्रमितों को अपनी बीमारी का पता था। हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें से सिर्फ 16 प्रतिशत इलाज ही कर रहे थे, और मात्र 7 प्रतिशत ने वायरल लोड को दबा पाया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2024 में एडस से 1100 से अधिक लोगों की मौतें हुईं है। आशीष/ईएमएस 04 दिसंबर 2025