व्यापार
04-Dec-2025
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- इस साल डॉलर में कर्ज लेने से बच रही हैं भारतीय कंपनियां नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय कंपनियां इस साल डॉलर में कर्ज लेने से बच रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है अमेरिका में लगातार ऊंची चल रही ब्याज दरें और वैश्विक स्तर पर बढ़ता आर्थिक व भू-राजनीतिक तनाव। ऐसे माहौल में कंपनियों को रुपये में कर्ज लेना अपेक्षाकृत सुरक्षित और सस्ता लग रहा है। यही कारण है कि रुपये बॉन्ड ज़ार तेजी से बढ़ रहा है और 2025 में इसके नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी के अनुसार जब तक वैश्विक परिस्थितियां सामान्य नहीं हो जातीं और विदेशी ब्याज दरें ऊंची बनी रहती हैं, भारतीय कंपनियां रुपये-आधारित कर्ज को ही प्राथमिकता देंगी। बड़ी भारतीय कंपनियों से लेकर मल्टीनेशनल कंपनियां अब विदेशों की बजाय भारत के घरेलू बाज़ार से पूंजी जुटा रही हैं, क्योंकि यहां कर्ज उपलब्धता अधिक है और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव भी कम देखने को मिलता है। इस वर्ष अब तक 12.6 लाख करोड़ के रुपये बॉन्ड बिक चुके हैं, जबकि डॉलर में जारी बॉन्ड केवल 9 अरब डॉलर के रहे, जो पिछले साल की तुलना में 32 फीसदी कम है। इससे रुपये बॉन्ड मार्केट की मजबूती साफ दिखाई देती है। इसी रुझान को देखते हुए विदेशी बैंक भी भारतीय रुपये बॉन्ड बाजार में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में जुट गए हैं। हालांकि विदेशी बैंकों को एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक जैसे घरेलू दिग्गजों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। इनके पास मजबूत जमा आधार, विस्तृत शाखा नेटवर्क और सरकारी बैंकों को मिलने वाला सरकारी समर्थन उन्हें और अधिक प्रभावी बनाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी बैंक अब समझ चुके हैं कि भारत में रुपये-आधारित कर्ज ही आगे बढ़ने का रास्ता है, लेकिन इसके लिए उन्हें भारतीय बैंकों से सीधी टक्कर लेनी होगी। सतीश मोरे/04नवंबर