* राज्य का समुद्री उत्पादन 7.64 लाख एमटी तक पहुँचा; नवाचार और सतत तटीय विकास पर केंद्रित होगा राजकोट सम्मेलन अहमदाबाद (ईएमएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘समुद्र से समृद्धि’ के विज़न को साकार करने के लिए, गुजरात अपने मछली पालन क्षेत्र की तेज़ प्रगति के माध्यम से भारत की ब्लू इकोनॉमी को लगातार नई दिशा दे रहा है। 2,340.62 किलोमीटर लंबी भारत की सबसे विशाल समुद्री तटरेखा वाले गुजरात ने देश की समुद्री समृद्धि में एक अग्रणी योगदानकर्ता के रूप में अपनी पहचान मजबूत की है। सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र गुजरात के कुल मत्स्य उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत योगदान करते हैं और इस प्रगति के केंद्र में बने हुए हैं। भारत वर्तमान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में 8 प्रतिशत का योगदान देता है। मत्स्य क्षेत्र में अंतर्देशीय व समुद्री मत्स्य पालन, एक्वाकल्चर, सीफूड प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और निर्यात शामिल हैं, और इसे एक सूर्योदय क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली है। इसके साथ ही यह क्षेत्र मत्स्य उपकरण निर्माण, शोध, शिक्षा और प्रशासनिक प्रबंधन को भी समाहित करता है। यह क्षेत्र लगभग 3 करोड़ व्यक्तियों को आजीविका प्रदान करता है। राज्य के अधिकारी बताते हैं कि गुजरात देश का दूसरा सबसे बड़ा समुद्री मत्स्य उत्पादक राज्य है। पिछले चार वर्षों में राज्य ने औसतन लगभग 9.30 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक मछली उत्पादन दर्ज की है। वित्त वर्ष 2025–26 के लिए राज्य द्वारा 8,40,069 मीट्रिक टन समुद्री मछली उत्पादन और 3,31,284 मीट्रिक टन अंतर्देशीय उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जिससे कुल उत्पादन लगभग 11,71,353 मीट्रिक टन रहने का आकलन है। इसी दौरान, सौराष्ट्र क्षेत्र अपने आठ प्रमुख मत्स्य-उत्पादक जिलों के साथ गुजरात के कुल मछली उत्पादन में 70% से अधिक का योगदान देता है। राज्य का सबसे बड़ा जिला कच्छ, राज्य के कुल मछली उत्पादन का लगभग 9% हिस्सा रखता है। वर्ष 2024–25 (अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025) में गुजरात ने 7,64,343 मीट्रिक टन समुद्री मछली उत्पादन दर्ज किया, जिसमें अकेले सौराष्ट्र ने 5,42,333 मीट्रिक टन योगदान दिया, जबकि कच्छ क्षेत्र ने 67,547 मीट्रिक टन उत्पादन किया। सौराष्ट्र और कच्छ मिलकर गुजरात के कुल समुद्री मछली उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा प्रदान करते हैं। वर्ष 2024–25 में राज्य के समुद्री मछली उत्पादन में 14% से अधिक की वृद्धि भी दर्ज हुई, जो 2023–24 के 7,04,828 मीट्रिक टन से बढ़कर 7,64,343 मीट्रिक टन पर पहुंच गया। आगामी VGRC का आयोजन जनवरी 2026 के द्वितीय सप्ताह में राजकोट में किया जाएगा, जो गुजरात में ब्लू इकोनॉमी और सतत तटीय विकास और समुद्री समृद्धि के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः दृढ़ करता है। यह सम्मेलन गुजरात के मत्स्य क्षेत्र की उपलब्धियों और भविष्य की संभावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करेगा। सम्मेलन में भारत की ब्लू इकोनॉमी को नवाचार, स्थिरता और समावेशी विकास के माध्यम से आगे बढ़ाने में गुजरात की अहम भूमिका को भी रेखांकित किया जाएगा। इस आयोजन में नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, विशेषज्ञों और विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाया जाएगा, ताकि उभरती तकनीकों, श्रेष्ठ तौर-तरीकों और निवेश के अवसरों पर व्यापक चर्चा हो सके। सतीश/05 दिसंबर