क्षेत्रीय
05-Dec-2025
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वाराणसी (ईएमएस) । काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत आए छात्र समूह का दूसरा दिन, उत्तर भारत की पवित्र नगरी अयोध्या में, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आध्यात्मिक एकता के एक नए अध्याय का साक्षी बना। आज प्रातः 9 बजे छात्र विशेष बस द्वारा जब श्री राम मंदिर धाम पहुँचे, तो उनकी खुशी और उत्साह स्पष्ट था। पूरे परिसर में “जय श्री राम” के नारों का उद्घोष गूंज उठा, जिसने तमिल प्रतिनिधियों के आगमन को एक उत्सव का रूप दे दिया। भगवान श्री रामलला के प्रथम दिव्य दर्शन ने सभी छात्रों को भाव-विभोर कर दिया। तमिलनाडु के कोने-कोने से आए इन विद्यार्थियों ने बड़े अनुशासन और पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजन-अर्चन किया। यह पल उत्तर और दक्षिण भारत की भक्ति परंपराओं के अद्भुत मिलन का प्रतीक बन गया, जहाँ क्षेत्रीय भेद को भुलाकर सभी ने एक ही आराध्य के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की। रामलला के दर्शन के उपरांत, प्रतिनिधिमंडल ने भव्य राम दरबार का अवलोकन किया, जहाँ भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कलाकृति देखने को मिली। इसके पश्चात, वे शक्ति और भक्ति के प्रतीक श्री हनुमान गढ़ी की ओर प्रस्थान किए। हनुमान जी के पावन दरबार में, छात्रों ने पूरी भक्ति भावना से प्रार्थना की और इस प्राचीन धाम की गहन आध्यात्मिक ऊर्जा को करीब से महसूस किया, जिसने उनकी यात्रा को और भी अर्थपूर्ण बना दिया। इसके उपरांत छात्र समूह ने ऐतिहासिक राम की पैड़ी का भ्रमण किया। सरयू नदी के शांत और पवित्र तट पर, उन्होंने इस प्राचीन धरा के नैसर्गिक सौंदर्य को निहारा। सरयू की हल्की तरंगें और शांत वातावरण ने सभी के मन को मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्रों ने अपनी इस आध्यात्मिक यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि यह उनके लिए अत्यंत प्रेरणादायक रही। उन्हें पहली बार उत्तर भारत की आस्था, परंपरा और भक्ति की विराट संस्कृति को प्रत्यक्ष रूप से जानने और महसूस करने का अवसर मिला। उनका मानना है कि अयोध्या दर्शन ने उनकी स्मृतियों में जीवनभर के लिए एक अमिट और सकारात्मक छाप छोड़ दी है। काशी तमिल संगमम् 4.0 का यह विशेष कार्यक्रम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को दृढ़ता से पोषित कर रहा है। उत्तर और दक्षिण भारत के बीच परंपराओं की साझेदारी और आपसी संबंधों का यह सेतु नई पीढ़ी को देश की महान विरासत और सांस्कृतिक समरसता से मजबूती से जोड़ रहा है, जिससे राष्ट्रीय एकता का संदेश पूरे देश में प्रवाहित हो रहा है। डॉ नरसिंह राम /05 दिसंबर2025