बीजेपी उपाध्यक्ष होपिंग्सन शिमरे ने इसे सराहनीय कदम बताया, अब आएगी शांति! नई दिल्ली,(ईएमएस)। मणिपुर में मैतेई समुदाय के बीजेपी विधायक और पूर्व स्पीकर युमनाम खेमचंद कुकी बहुल इलाके पहुंचे और उनके हालचाल लिए। वे उखरुल जिले के लितान और म्यांमार सीमा से सटे कमजोंग जिले के चस्सद गए और कुकी परिवारों से मिले, जो पिछले ढाई साल से यहां पर हैं। लितान सारेईखोंग बैपटिस्ट चर्च के राहत शिविर में 173 बेघर लोग रह रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व स्पीकर ने वहां महिलाओं-बच्चों से बात की और कहा कि दुनिया में देशों के बीच, समुदायों के बीच झगड़े होते रहते हैं, लेकिन हमें एक-दूसरे के साथ प्यार से रहना सीखना होगा। बच्चों का भविष्य इस नफरत से बर्बाद नहीं होना चाहिए। क्रिसमस आने वाला है, आइए शांति की दुआ करें, उनके साथ गए तांगखुल नागा नेता और प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष होपिंग्सन शिमरे ने इसे सराहनीय कदम बताया। उनका कहना था कि 2023 के बाद पहली बार किसी मैतेई विधायक कुकी राहत शिविर पहुंचे हैं। कुकी इनपी, कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन और गांव के मुखियाओं ने बयान जारी कर कहा है कि युमनाम बिना बताए, बिना न्योता दिए अचानक वहां पहुंच गए। शिविर प्रभारी लुंखोजंग बैते ने कहा कि जब वे आए तब ज्यादातर पुरुष लोग काम पर गए थे। सिर्फ बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं थीं। विधायक बच्चों के साथ फोटो खिंचवाईं और चले गए। न किसी से पूछा, न किसी संगठन को बताया। यह सिर्फ दिखावा लगता है। कुकी संगठनों ने इसे राजनीतिक फोटो सेशन करार देते हुए कहा कि जब तक असल मुद्दों पर बात नहीं होगी, ऐसे दिखावे से शांति नहीं आएगी। रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल मणिपुर में अब भी 260 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, 60 हजार से ज्यादा बेघर हैं और इम्फाल घाटी व पहाड़ी इलाके के बीच दीवार जैसी खाई बनी हुई है। युमनाम का दौरा भले ही छोटा कदम हो, लेकिन दो साल बाद पहली बार किसी जनप्रतिनिधि का पहुंचना इस बात को दर्शाता है कि कुकी और मैतेई के बीच मतभेदों को खत्म करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। बता दें कुकी और मैतेई समुदाय के बीच चल रहा विवाद असल में दोनों की मांगों की वजह से है। मैतेई समुदाय इम्फाल घाटी में बहुसंख्यक है, लंबे समय से खुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिससे सरकारी नौकरियों, शिक्षा में आरक्षण और पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने का हक मिल सके। वहीं कुकी-जो समुदाय इसे अपने हक छिनने की साजिश मानता है और इसका कड़ा विरोध करता है। कुकी लोग मैतेई को एसटी दर्जा देने के बजाय अपने लिए अलग प्रशासन या अलग राज्य चाहते हैं। यही मांगें 2023 से विवाद का कारण बनी हुई हैं। सिराज/ईएमएस 09दिसंबर25