-केंद्र ने कहा— तेजी से बूढ़ी हो रही आबादी, बढ़ेंगी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत की जनसंख्या तेजी से वृद्धावस्था की ओर बढ़ रही है। वर्ष 2011 में देश में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 10.16 करोड़ थी, जो 2036 तक दोगुनी होकर 22.74 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसी अवधि में बुजुर्गों का जनसंख्या में अनुपात 8.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.9 प्रतिशत हो जाएगा। इसका अर्थ है कि वर्ष 2036 तक हर 7 में से 1 भारतीय सीनियर सिटीजन होगा। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में दी। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ रही बुजुर्ग आबादी के साथ कई नई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, जिनमें स्वास्थ्य सेवाएँ, सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक निर्भरता, तकनीक के उपयोग में कठिनाई और अकेलेपन जैसी समस्याएँ शामिल हैं। इसी के साथ ही सरकार ने स्वीकार किया कि बदलते पारिवारिक ढांचे का असर बुजुर्गों के जीवन पर गहरा पड़ा है। पहले संयुक्त परिवारों में बुजुर्गों की सामूहिक रूप से देखभाल होती थी, लेकिन अब छोटे परिवारों की संख्या बढ़ने से उनकी देखभाल का भार सीमित सदस्यों पर आ गया है। रिपोर्टों में इसे विरोधाभास बताया गया, अर्थात, बुजुर्ग बढ़ रहे हैं लेकिन समाज की सोच और उनकी जिम्मेदारियों को लेकर दृष्टिकोण उतना मजबूत नहीं रहा। इस बदलाव का प्रभाव उनकी देखभाल, सुरक्षा और सम्मान पर साफ दिखाई दे रहा है। सरकार की पहल— अभ्युदय योजना और नेशनल काउंसिल ऑफ सीनियर सिटिजन्स मंत्री राय ने बताया, कि बुजुर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 1 अप्रैल 2021 से अटल वयो अभ्युदय योजना (एवीवायएवाय) लागू की है। इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों के लिए विभिन्न तरह की सहायता और सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके साथ ही सरकार ने नेशनल काउंसिल ऑफ सीनियर सिटिजन्स का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री करते हैं। परिषद में विशेषज्ञों और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है, जो बुजुर्गों से जुड़े मुद्दों पर नीति-निर्माण और दिशा-निर्देश देने का काम करते हैं। केरल देश का ‘सबसे बुजुर्ग राज्य’ भारत में सबसे अधिक बुजुर्ग आबादी केरल में है। राज्य की कुल आबादी का 16.5 प्रतिशत हिस्सा (लगभग 56 लाख लोग) 60 वर्ष से अधिक आयु का है। इनमें से 11 प्रतिशत लोग 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं। अनुमान है कि 2031 तक यह अनुपात बढ़कर 25 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। आईआईएमडी की ‘केरला माइग्रेशन सर्वे’ के अनुसार राज्य की 3.43 करोड़ आबादी में हर 5 में से 1 घर का कम से कम एक सदस्य विदेश या राज्य से बाहर रहता है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 12 लाख से अधिक घरों में ताले लगे हैं, जबकि 21 लाख से अधिक घरों में केवल बुजुर्ग ही रह गए हैं। कई गांव तो लगभग पूरी तरह बुजुर्ग आबादी वाले हो चुके हैं। हिदायत/ईएमएस 09दिसंबर25