वाशिंगटन (ईएमएस)। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 49 मिलियन लाइट ईयर लंबा एक ‘स्पिनिंग फिलामेंट’ खोजा है। इस खोज ने वैज्ञानिकों की नींद उडा दी है। वैज्ञानिकों इसे अंतरिक्ष का बवंडर या टॉर्नेडो बताया है। यह कोई सामान्य संरचना नहीं है, बल्कि इसमें सैकड़ों गैलेक्सीज फंसी हुई हैं और यह पूरे ब्रह्मांडीय धागे यानी ‘कॉस्मिक वेब’ के हिस्से के रूप में घूम रही है। फिजिस्ट लाइला जंग ने इस बवंडर को मेले के टी-कप राइड से समझाया। उन्होंने बताया कि हर गैलेक्सी अपनी धुरी पर घूम रही है, और जिस कॉस्मिक फिलामेंट से यह जुड़ी हैं वह भी बवंडर की तरह घूम रहा है। इसे देखकर वैज्ञानिकों के लिए यह एक बड़ा सरप्राइज है। कॉस्मिक वेब डार्क मैटर के धागों से बना ब्रह्मांड का अदृश्य कंकाल है, जो गैलेक्सीज को अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के तहत नियंत्रित करता है। इस खोज की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका के मीरकाट रेडियो टेलीस्कोप से हुई, जब वैज्ञानिकों ने एमआईजीएचटीईई स्काई सर्वे के डेटा में 140 मिलियन लाइट ईयर दूर 14 गैलेक्सीज को एक सीधी रेखा में देखा। आगे की जांच में उन्होंने स्लोन डिजिटल स्काई सर्वे और डीईएसआई के डेटा से 283 और गैलेक्सीज का पता लगाया, जो एक ही पैटर्न का पालन कर रही थीं। यह दर्शाता है कि डार्क मैटर के विशाल धागे गैलेक्सीज को खींच रहे हैं और उन्हें विशेष आकार दे रहे हैं। इस बात की पुष्टि रेडशिफ्ट तकनीक से हुई। फिलामेंट के एक हिस्से की लाइट नीली थी यानी वह हमारी ओर बढ़ रही थी, जबकि दूसरे हिस्से की लाइट लाल थी यानी वह हमसे दूर जा रही थी। इसका मतलब है कि पूरा स्ट्रक्चर गोल घूम रहा है और इसकी रफ्तार लगभग 110 किलोमीटर प्रति सेकंड है, जो मिल्की वे और एंड्रोमेडा के गतिशील व्यवहार के समान है। यह खोज ‘टाइडल टॉर्क थ्योरी’ को भी साबित करती है, जो बताती है कि शुरुआती ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण के असंतुलन ने इन फिलामेंट्स को घूमने पर मजबूर किया। इसके अलावा फिलामेंट में ठंडी हाइड्रोजन गैस भी पाई गई, जो गैलेक्सीज को नई स्टार्स बनाने में मदद करती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि यह 49 मिलियन लाइट ईयर लंबा घूमता हुआ स्ट्रक्चर ब्रह्मांड की जटिलता और कनेक्टिविटी को दर्शाता है। यह दिखाता है कि गैलेक्सीज बिखरी नहीं हैं, बल्कि विशाल और अदृश्य स्ट्रक्चर्स पूरी ब्रह्मांडीय प्रणाली को नियंत्रित कर रहे हैं। सुदामा/ईएमएस 12 दिसंबर 2025