राज्य
13-Dec-2025


मुख्यमंत्री ने भी माना-विशेषज्ञ डॉक्टर्स के मिलने की चुनौती है भोपाल (ईएमएस)। प्रदेश में मेडिकल स्टॉफ की कमी के बावजूद नए मेडिकल कॉलेज खुलने का सिलसिला जारी है। प्रदेश सरकार के मुखिया ने भी माना है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों का मिलना चुनौती बना हुआ है। मध्यप्रदेश में पिछले साल तीन और इस साल दो मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए। भविष्य में चार कॉलेज और शुरू हो जाएंगे। अन्य 6 अभी निर्माणाधीन हैं। लेकिन इन संस्थानों में स्टाफ की भारी कमी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं स्वीकार किया कि प्रदेश में मेडिकल स्टाफ की कमी है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया तेजी से चल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल कॉलेज तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में उनके अनुरूप मैनपॉवर की आवश्यकता भी बहुत बड़ी है। विशेषज्ञ डॉक्टर मिलना चुनौती है, लेकिन सरकार ने निर्णय लिया है कि प्राइवेट सेक्टर से अधिक वेतन देकर अनुभवी डॉक्टरों को सरकारी सेवाओं में शामिल किया जाएगा। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 2118 से अधिक टीचिंग फैकल्टी पद खाली हैं। 19 मेडिकल कॉलेजों में से सिर्फ 7 कॉलेजों में ही पर्याप्त स्टाफ मौजूद है। नए कॉलेजों में कई विभागों में प्रोफेसर, असोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर तक उपलब्ध नहीं हैं। पैरामेडिकल स्टाफ में भी कमी है, जिससे अस्पतालों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। कई नए मेडिकल कॉलेजों में अभी भी हॉस्पिटल बिल्डिंग, लैब, ओटी, उपकरण व मान्यता के लिए अनिवार्य सुविधाओं का अभाव है। इससे छात्रों की ट्रेनिंग और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। प्रदेश में कई नए मेडिकल कॉलेज जैसे बुधनी, मंडला, श्योपुर, सिंगरौली, राजगढ़ खोलने की तैयारी चल रही है। निर्माण और स्टाफिंग में तेजी लाने के लिए पीपीपी मॉडल पर भी विचार किया जा रहा है। फैकल्टी की भर्ती प्रक्रिया जारी, हालांकि हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा ऑटोनॉमस कॉलेजों से सरकारी कॉलेजों में ट्रांसफर पर रोक का असर पड़ा है। मालूम हो कि मध्य प्रदेश में चार नए मेडिकल कॉलेजों का भूमिपूजन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा करेंगे। ये कॉलेज पन्ना, बैतूल, कटनी और धार में शुरू होंगे। सुदामा नरवरे/13 दिसंबर 2025