अंतर्राष्ट्रीय
13-Dec-2025
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बीजिंग,(ईएमएस)। चीन की नजर रूस के साइबेरियाई इलाके व्लादिवोस्तोक और अमूर ओब्लास्ट के एक आईलैंड पर है। चीनी सरकार सीमा के पास कृषि भूमि खरीद रही है और उसे लंबे समय के लिए लीज पर ले रही है, जिससे इलाके पर अपना दावा मजबूत करने की कोशिश हो रही है। ये दोनों इलाके कभी चीन के किंग साम्राज्य का हिस्सा थे, जिन्हें लगभग 150 साल पहले (19वीं सदी में) चीन को मजबूरी में रूसी साम्राज्य को सौंपना पड़ा था। चीन अफीम युद्धों में हारने के कारण कमजोर था। रूस ने इस स्थिति का फायदा उठाया और 1858 में ऐगुन संधि (जिससे अमूर नदी के उत्तर का बड़ा इलाका रूस को मिला) और 1860 में पेकिंग संधि (जिससे व्लादिवोस्तोक और आसपास का क्षेत्र रूस का हिस्सा बना) पर हस्ताक्षर करवा लिए। रूस की सुरक्षा एजेंसी एफएसबी ने एक दस्तावेज में चीन को रूस की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है और इतना ही नहीं सबसे बड़ा दुश्मन भी बता दिया है। दस्तावेज के अनुसार, पुतिन और शी जिनपिंग की सार्वजनिक दोस्ती के बावजूद, दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के बीच छुपी हुई जंग चल रही है। 2023 में चीन ने नए सरकारी नक्शे जारी किए, जिसमें कुछ रूसी शहरों, जिनमें व्लादिवोस्तोक भी शामिल है, को चीनी नामों के साथ दिखाने का निर्देश दिया गया। इन नक्शों में एक द्वीप को पूरी तरह से चीनी क्षेत्र के तौर पर दिखाया गया, जिस पर 2008 में दोनों देशों ने संधि करके बँटवारा किया था। चीन के राष्ट्रवादी लोग अक्सर रूस को सौंपे गए क्षेत्रों को वापस लेने की मांग करते रहते हैं। लेकिन बीजिंग आधिकारिक तौर पर इन दावों पर चुप रहकर पुतिन के साथ मजबूत रिश्तों पर जोर देता है। यूक्रेन युद्ध के बाद चीन ने रूस को ऊर्जा खरीदकर आर्थिक राहत दी, जबकि रूस ने युआन में भुगतान और व्यापार बढ़ाकर चीन का सहयोग किया। दोनों देशों ने प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यास भी बढ़ाए हैं। रूस के भीतर यह चिंता बढ़ रही है कि वह चीन का जूनियर पार्टनर न बन जाए। चीन ने जारी किया नक्शा चीन के पर्यावरण मंत्रालय ने 2023 में नए सरकारी नक्शे जारी किए। इन नक्शों में कुछ रूसी शहरों को उनके चीनी नामों के साथ दिखाने का निर्देश दिया गया। रूस का पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक भी इसमें शामिल है। नक्शों में एक द्वीप को पूरी तरह से चीनी क्षेत्र के तौर पर दिखाया गया। यह आईलैंड उस्सुरी और अमूर नदियों के संगम पर स्थित है। इस आईलैंड को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय तक विवाद रहा था, जिसे 2008 में एक संधि के तहत दोनों देशों ने बांट लिया था। बात दें कि रूस और चीन के बीच 4200 किमी लंबा बॉर्डर है। इस सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार तनाव हुआ है। 1960 के दशक में सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे और गोलीबारी भी हुई थी। इसके बाद में 1990 और 2000 के दशक में कई समझौते किए गए। इन समझौतों के तहत ज्यादातर विवादों को सुलझा लिया गया। आशीष दुबे / 13 दिसंबर 2025