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13-Dec-2025
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:: पार्किंसन चुनौती पर प्रहार; भारत में 2050 तक 28 लाख मामलों से निपटने समग्र न्यूरो केयर का क्रांतिकारी मॉडल :: बेंगलुरु (ईएमएस)। न्यूरोसाइंसेज़ के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता को नई ऊँचाई देते हुए, सकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल ने आज अपने समर्पित पार्किंसन रोग क्लिनिक का शानदार शुभारंभ किया। यह अत्याधुनिक, बहुविषयक केंद्र पार्किंसन रोग एवं मूवमेंट डिसऑर्डर्स से पीड़ित व्यक्तियों के लिए प्रारंभिक निदान, सटीक उपचार और दीर्घकालिक प्रबंधन हेतु एक समग्र केयर मॉडल प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। क्लिनिक का औपचारिक उद्घाटन मैनेजिंग डायरेक्टर यूइची नागानो और ग्रुप चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर लवकेश कुमार फासू द्वारा किया गया। डॉ. हेमा कृष्णा पी (कंसल्टेंट – न्यूरोलॉजी) के नेतृत्व में, यह क्लिनिक न्यूरोलॉजी, न्यूरोसाइकोलॉजी, पुनर्वास और डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) जैसी उन्नत फंक्शनल न्यूरोसर्जरी को एक समन्वित ढांचे में एकीकृत करता है। नए क्लिनिक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. प्रशांत एलके (एमडीएसआई संस्थापक सदस्य) ने कहा: पार्किंसन रोग एक जटिल न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थिति है, जिसके लिए समय पर हस्तक्षेप और बहुविषयक दृष्टिकोण आवश्यक है। ऐसे विशेष क्लिनिक आज की आवश्यकता हैं। डॉ. हेमा कृष्णा पी ने कहा: हमारा नया क्लिनिक उन्नत न्यूरोलॉजिकल मूल्यांकन, मूवमेंट डिसऑर्डर विशेषज्ञता एवं उपचार को एक समन्वित ढांचे में एकीकृत करता है, ताकि बेहतर दीर्घकालिक परिणाम सुनिश्चित किए जा सकें। डॉ. आलोक मोहन उप्पार (कंसल्टेंट – न्यूरोसर्जरी) ने पुष्टि की: डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी उन्नत पार्किंसन रोग से पीड़ित मरीजों के प्रबंधन में एक गेम-चेंजर है। :: प्रबंधन का संकल्प :: यूइची नागानो ने कहा: “इस विशेष क्लिनिक का शुभारंभ न्यूरोसाइंसेज़ में वैश्विक मानकों को प्रदान करने के सकरा के मिशन को दर्शाता है। हमारा समग्र और सहयोगात्मक केयर मॉडल मरीजों की जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार लाएगा।” लवकेश फासू ने कहा कि यह क्लिनिक सटीक, भविष्य-तैयार न्यूरोलॉजिकल केयर लाने पर उनके फोकस को दर्शाता है, और इसका उद्देश्य मरीजों को उनकी पार्किंसन यात्रा के हर चरण में सहयोग देना है। :: युवा आबादी पर असर :: यह शुभारंभ अत्यंत निर्णायक समय पर हुआ है, क्योंकि शोध के अनुसार, भारत में पार्किंसन रोग का बोझ 2050 तक लगभग 28 लाख मामलों तक पहुँचने का अनुमान है। विशेषज्ञों ने विशेष रूप से आगाह किया है कि भारतीय मरीजों में यह रोग पश्चिमी देशों की तुलना में लगभग एक दशक पहले शुरू होता (40–45% मरीजों में 50 वर्ष से पहले लक्षण) है, जो विशेष देखभाल की आवश्यकता को अनिवार्य बनाता है। प्रकाश/13 दिसम्बर 2025