राज्य
15-Dec-2025


मुंबई, (ईएमएस)।‎ मुंबई के नवरोसजी वाडिया प्रसूति एवं बालरोग हॉस्पिटल (वाडिया अस्पताल) में बीते 15 दिनों में 9 नवजात बच्चों की मौत हो गई। अब महानगरपालिका के स्वास्थ विभाग ने इस घटना का संज्ञान लिया है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है और अस्पताल के नवजात शिशु अतिदक्षता विभाग (एनआईसीयू) की पूरी जांच के आदेश दिए गए हैं। यह जानकारी मुंबई मनपा की कार्यकारी स्वास्थ अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने दी है। उधर एक माता-पिता के रिश्तेदार ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इन सभी बच्चों की हालत जन्म के समय बहुत नाजुक थी और अस्पताल के एनआईसीयू में उनका इलाज चल रहा था। उधर इस घटना के सामने आने के बाद मनपा के स्वास्थ विभाग की एक टीम ने वाडिया हॉस्पिटल का दौरा किया और एनआईसीयू में साफ-सफाई और डिसइंफेक्शन सिस्टम, इन्फेक्शन कंट्रोल के लिए किए गए उपायों, मेडिकल रिकॉर्ड और इलाज के तरीकों के साथ-साथ डॉक्टरों और नर्सों की मौजूदगी काफी है या नहीं, इसकी जांच की। साथ ही, स्वास्थ विभाग ने कहा है कि पानी, हवा और स्वास्थ उपकरण के सैंपल टेस्टिंग के लिए लैब में भेजे जाएंगे। स्वास्थ विभाग ने साफ किया है कि अगर इस जांच में कोई गलती पाई जाती है तो संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उधर वाडिया अस्पताल प्रशासन ने सभी आरोपों से इनकार किया है। प्रशासन का कहना है कि उन्हें कोई अधिकृत शिकायत नहीं मिली है। प्रशासन ने साफ किया है कि अभी जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे गुमराह करने वाले हैं और हमारे पास इसके बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है। वाडिया हॉस्पिटल की तरफ से जारी जानकारी के मुताबिक, यहां हर साल करीब 8 हजार से 10 हजार मैटरनिटी केस हैंडल किए जाते हैं। हर महीने करीब 650 से 850 प्रेग्नेंट महिलाएं हॉस्पिटल में भर्ती होती हैं। इनमें से करीब 630 से 830 महिलाओं की डिलीवरी सुरक्षित तरीके से हो जाती है। कुछ महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट की बीमारी जैसी दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम की वजह से डिलीवरी के दौरान कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़ता है। हालांकि, ऐसे मामलों में भी, हॉस्पिटल सुरक्षित डिलीवरी पक्का करने की पूरी कोशिश करता है। साथ ही, वाडिया हॉस्पिटल में एनआईसीयू लेवल 3 और लेवल 4 कैटेगरी का है और यहां हर महीने करीब 110 से 135 बच्चे भर्ती होते हैं। इनमें से 95 से 120 बच्चों का सफल इलाज हो जाता है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि चूंकि जन्म के समय मां में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या दिल की बीमारियों की वजह से कुछ बच्चे बहुत गंभीर होते हैं, इसलिए इंटेंसिव इलाज के बाद भी कुछ मामले फेल हो जाते हैं। ‎स्वेता/संतोष झा- १५ दिसंबर/२०२५/ईएमएस