राष्ट्रीय
15-Dec-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। भाजपा त्याग और तप को प्राथमिकता देने में देर नहीं करती है। नव नियुक्त भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन को लेकर भी भाजपा ने यही सूत्र अपनाया। वजह ये है कि नितिन पैराशूटर नहीं है वे ग्रासरुटर हैं। उनका काम देखकर ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने उन्हे अपनी गुड लिस्ट में शामिल किया है। इसके बाद इतनी बड़ी जिम्मेदारी उन्हे सौंपी गई है। इसके बाद भी सियासी गलियारों में एक ही सवाल गूंज रहा है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उनमें ऐसा क्या देखा, जो उन्हें पार्टी के इतने बड़े पद के लिए चुना गया। यह नियुक्ति महज संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि बीजेपी और आरएसएस की उस रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तहत नेतृत्व की अगली पीढ़ी को कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है। नितिन नबीन की यह छलांग अचानक नहीं है, बल्कि इसके पीछे रायपुर से दिल्ली तक चली एक सोची-समझी और बेहद गोपनीय प्रक्रिया रही है। नितिन नबीन की सबसे बड़ी ताकत उनका संगठनात्मक अनुभव माना जाता है। वे किसी पैराशूट नेता की तरह नहीं आए, बल्कि भाजयुमो से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन की सीढ़ियां चढ़ी हैं। वे युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री रह चुके हैं और संगठन की नब्ज को अच्छी तरह समझते हैं। इसके साथ ही वे चुनावी राजनीति में भी खुद को साबित कर चुके हैं। पटना की बांकीपुर सीट से वे लगातार पांच बार विधायक चुने गए और 2020 के चुनाव में हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों को हराकर अपनी जमीनी पकड़ दिखाई। उनके करियर का सबसे अहम मोड़ 2023 का छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव माना जाता है। प्रभारी के रूप में उन्होंने बूथ मैनेजमेंट और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से हारी हुई बाजी को जीत में बदला, जिसने शीर्ष नेतृत्व को खासा प्रभावित किया। आरएसएस पृष्ठभूमि, अनुशासित छवि और विवादों से दूरी ने भी उन्हें शीर्ष पद के लिए भरोसेमंद चेहरा बनाया। फिलहाल नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय परिषद की औपचारिक मुहर के बाद ही पूर्णकालिक अध्यक्ष की घोषणा होती है। माना जा रहा है कि 14 जनवरी 2026 के बाद एक बड़े अधिवेशन में उन्हें औपचारिक रूप से यह जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। बिहार की गलियों से निकलकर देश की सबसे बड़ी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचने की यह कहानी बीजेपी की उस राजनीति को दर्शाती है, जहां कार्यकर्ता के लिए संभावनाओं की कोई सीमा नहीं मानी जाती। सूत्रों के मुताबिक नितिन नबीन की ताजपोशी की पटकथा पिछले हफ्ते ही लिख दी गई थी, लेकिन इसकी भनक पार्टी के अंदरूनी हलकों को भी नहीं लगी। इसकी नींव छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पड़ी, जहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दौरे पर पहुंचे थे। इसी दौरान शाह और नितिन नबीन के बीच एक लंबी और बेहद गोपनीय बैठक हुई। छत्तीसगढ़ प्रभारी के तौर पर नितिन नबीन ने भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ चुनावी रणनीति को जिस तरह जमीन पर उतारा था, उससे वे पहले ही अमित शाह की ‘गुड लिस्ट’ में शामिल हो चुके थे। माना जा रहा है कि इसी बैठक में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी का संकेत दे दिया गया था। रायपुर से ‘ग्रीन सिग्नल’ मिलने के बाद नितिन नबीन अगले ही दिन दिल्ली पहुंचे। यहां उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष से अलग-अलग मुलाकात की। इन बैठकों में उनकी संभावित भूमिका और भविष्य की जिम्मेदारियों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। पार्टी नेतृत्व इसे सिर्फ मौजूदा जरूरत नहीं, बल्कि 2029 और उससे आगे 2034 तक की सियासी तैयारी के रूप में देख रहा है। बीजेपी एक ऐसे नेता को आगे लाना चाहती है, जिसके पास लंबे समय तक संगठन को दौड़ाने की ऊर्जा और समझ हो। वीरेंद्र/ईएमएस/15दिसंबर2025