अंतर्राष्ट्रीय
15-Dec-2025


शिकागो,(ईएमएस)। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए व्यापार नीतियाँ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में सहयोग और प्रवासी मीडिया की भूमिका कुछ सबसे प्रमुख मुद्दे हैं। जाने-माने सामुदायिक सदस्यों, व्यावसायिक नेताओं और राजनयिकों ने हाल ही में आयोजित एक चर्चा के दौरान इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में ये कारक दोनों देशों के आपसी रिश्तों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एक चर्चा सत्र के दौरान प्रतिष्ठित लोगों, उद्योग जगत के नेताओं और राजनयिकों ने भारत- अमेरिका संबंधों के भविष्य पर विचार किया। एक विशेषज्ञ ने द्विपक्षीय संबंधों को एक लंबी और चलती हुई शादी जैसा बताया। उनका कहना था कि इन रिश्तों में अत्यधिक मज़बूती और प्रतिबद्धता है, लेकिन इनमें झगड़े या ड्रामा कम हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत बने हुए हैं। उन्होंने उल्लेख किया, भारत 200 बिलियन डॉलर से अधिक का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और अमेरिकी कंपनियां भारत में भारी निवेश कर रही हैं। उन्होंने अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियों की हालिया घोषणाओं का उदाहरण दिया। हालांकि, एक पैनल चर्चा में भाग लेते हुए, एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी कि ऊंचे टैरिफ दोनों अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा, भारत पर 50 प्रतिशत का सबसे ऊंचा टैरिफ लगाना कोई मतलब नहीं रखता, और संयुक्त राज्य अमेरिका में छोटे और मध्यम उद्यमों तथा उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले महंगाई के असर का जिक्र किया। भारतीय दूतावास में सामुदायिक मामलों और सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि भारत का आगामी एआई शिखर सम्मेलन ओपन-सोर्स इनोवेशन और स्वदेशी क्षमताओं के विकास पर केंद्रित होगा। उन्होंने कहा, हम जितना ज़्यादा ओपन सोर्स का इस्तेमाल करेंगे, यह समुदाय के लिए उतना ही अधिक मददगार होगा। सामुदायिक नेताओं ने प्रवासी भारतीयों की आर्थिक और सांस्कृतिक सेतु के रूप में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया। एक सामुदायिक नेता और सफल व्यवसायी ने कहा, जब एआई विकास की बात आती है, तो हम सबसे मजबूत समुदाय हैं। उन्होंने अगली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी उद्यमियों और भारत के इनोवेशन इकोसिस्टम के बीच गहरे जुड़ाव का आग्रह किया। मीडिया की जिम्मेदारी भी इस सत्र में प्रमुखता से सामने आई। एक सामुदायिक मीडिया नेता ने चेतावनी दी कि गलत सूचना विश्वास को खत्म कर रही है। उन्होंने कहा, हर किसी के पास स्मार्टफोन है और वे खुद को रिपोर्टर समझते हैं, लेकिन जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए सत्यापन की जरूरत होती है, केवल कहानियों की नहीं। उन्होंने कहा कि जातीय मीडिया को मजबूत सामुदायिक समर्थन की जरूरत है। प्रतिभागियों ने रक्षा विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग पर भी चर्चा की, और सह-निर्माण के बढ़ते अवसरों का उल्लेख किया। एक सामुदायिक नेता और व्यवसायी नेता ने बताया, अमेरिका में रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाले 3,600 से ज्यादा छोटे संगठन हैं और उनमें से कई का नेतृत्व अगली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी कर रहे हैं। सत्र का समापन राजनीतिक अनिश्चितता के बावजूद दोनों देशों के बीच लगातार जुड़ाव बनाए रखने के आह्वान के साथ हुआ। एक वक्ता ने दार्शनिक अंदाज़ में कहा, यह न तो सबसे बुरा समय है और न ही सबसे अच्छा समय है। यह बस समय है। पिछले एक दशक में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने रक्षा, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है। प्रवासी नेताओं का कहना है कि दोनों देशों में राजनीतिक बदलावों के बावजूद, लोगों के बीच लगातार बने रहने वाले संबंध एक स्थिर शक्ति बने रहेंगे। वीरेंद्र/ईएमएस/15दिसंबर2025