-फुल कोर्ट ने किया तय बीते सालों में दी गई अतिरिक्त वेतनवृद्धि होगी वापस नई दिल्ली,(ईएमएस)। प्राइवेट से लेकर सरकारी तक सभी दफ्तरों में सालाना वेतनवृद्धि एक सामान्य प्रक्रिया होती है, लेकिन क्या हो अगर किसी कर्मचारी की सालभर के अंदर छह-छह बार सैलरी बढ़ जाए। यह सुनकर आप हैरान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में बीते कुछ सालों में ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली। यहां कई मुख्य न्यायाधीशों ने रिटायरमेंट से ठीक पहले अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कुछ चुनिंदा कर्मचारियों को एक नहीं, बल्कि दो से तीन और कुछ मामलों में छह तक अतिरिक्त वेतनवृद्धि मंजूर कर दी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिन न्यायाधीशों का कार्यकाल छोटा रहा, उन्होंने भी सालाना इन्क्रीमेंट के अलावा अपने निजी स्टाफ या ‘असाधारण कार्य’ करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त इन्क्रीमेंट दिए। बीते चार सालों में ही सुप्रीम कोर्ट के करीब 2,000 कर्मचारियों को कम से कम दो से तीन अतिरिक्त वेतनवृद्धि दी गई, जबकि कुछ ‘खास’ कर्मचारियों को छह अतिरिक्त इन्क्रीमेंट तक मिले। इसके चलते कुछ कर्मचारियों का वेतन सामान्य वेतन से करीब 150 फीसदी तक पहुंच गया। इस असमानता और विसंगति को दूर करने के लिए तत्कालीन सीजेआई बीआर गवई ने सभी जजों की फुल कोर्ट बैठक बुलाई थी। इस बैठक में अधिकांश न्यायाधीशों की राय थी कि न तो सुप्रीम कोर्ट कोई ‘साम्राज्य’ है और न चीफ जस्टिस कोई ‘राजा’… जो अपने विवेक से चुनिंदा लोगों को वेतन लाभ बांटें। लंबी चर्चा के बाद फुल कोर्ट ने फैसला किया कि इस तरह की विवेकाधीन वेतनवृद्धि की प्रथा को तत्काल खत्म किया जाए। जानकारी के मुताबिक फुल कोर्ट ने यह भी तय किया कि बीते सालों में दी गई अतिरिक्त वेतनवृद्धि को वापस लिया जाएगा और भविष्य में अगर किसी विशेष इन्क्रीमेंट पर विचार होगा तो वह केवल फुल कोर्ट की मंजूरी से ही संभव होगा। कई कर्मचारियों पर अचानक से इस फैसले का असर पड़ा, जिन कर्मचारियों को अतिरिक्त इन्क्रीमेंट मिले थे, उनकी सैलरी में एक झटके में भारी कटौती हो गई। कई कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने बढ़ी हुई सैलरी को आधार बनाकर घर या कार लोन ले लिया था, ऐसे में अचानक वेतन घटने से उनका बजट बिगड़ गया है। कुछ मामलों में कर्मचारियों की मासिक सैलरी 30 से 40 हजार तक कम हो गई। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को प्रशासनिक पारदर्शिता और समानता की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है, हालांकि इससे जुड़े मानवीय और आर्थिक पहलुओं पर कर्मचारियों के बीच असंतोष भी साफ नजर आ रहा है। सिराज/ईएमएस 15दिसंबर25