बोलीं गीतांजलि- जेल में कोई जितना ठीक दिख सकता है उतना ही ठीक हैं सोनम नई दिल्ली,(ईएमएस)। एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को गिरफ्तार हुए ढाई माह से ज्यादा हो चुके हैं। लेह में 24 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद एनएसए के तहत 26 सितंबर को उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया, जहां उनकी पत्नी गीतांजलि जे अंगमों ने पिछले दिनों मुलाकात की थी। दरअसल लेह में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बीच हुई हिंसा के बाद पुलिस कार्यवाही पर अब भी कई सवाल लोगों के जेहन में उठ रहे हैं। ऐसे ही सवालों को एक इंटरब्यू के दौरान जब गीतांजलि के समक्ष रखा गया तो उन्होंने कई धुंधली तस्वीरों को अपने जवाबों से साफ करके रख दिया। गौरतलब है कि 9 दिसंबर को सोनम से गीतांजलि की मुलाकात हुई थी, जिस पर उनसे सवाल किया गया था कि आखिर जेल में सोनम वांगचुक कैसे हैं? तब उन्होंने यह कहकर सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था, कि मुझे जेल में वे उतने ही ठीक दिखे, जितना कि कोई जेल में ठीक दिख सकता है। इसी के साथ ही गीतांजलि कहती हैं, कि ऐसे मुश्किल वक्त में शरीर से ज्यादा मानसिक मजबूती की आवश्यकता होती है। इसलिए हम सिर्फ अच्छी बातें ही साझा किया करते हैं। उन्होंने बताया कि इस मुलाकात के दौरान मैंने उन्हें एक किताब ओल्ड पाथ व्हाइट क्लाउड्स भी दी है। दिल्ली में रहने की वजह बताते हुए गीतांजलि ने कहा, आमतौर पर लद्दाख में रहती हैं, लेकिन पिछले करीब 75 दिनों से दिल्ली में ही हैं। इसकी मुख्य वजह सुप्रीम कोर्ट में चल रहा मामला और जोधपुर तक की यात्रा है। उन्होंने बताया, कि लेह से जोधपुर का एकतरफा हवाई किराया करीब 40 हजार रुपए आता है, ऐसे में दिल्ली से करीब होने के कारण यहां रहना ठीक लगा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक सवाल के जवाब में गीतांजलि ने बताया, कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद प्रारंभ के तीन हफ्तों तक एक कार से उनका पीछा किया गया। उन्होंने जब सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया, तो उसके बाद से यह निगरानी गतिविधि धीरे-धीरे कम होती गई। फिलहाल ऐसी कोई खुली निगरानी का आभास तो नहीं होता, लेकिन फोन टेपिंग को लेकर उन्हें पूरी तरह भरोसा नहीं है। जहां तक सोनम बांगचुक पर एनएसए लगाए जाने और गिरफ्तारी का सवाल है तो उन्होंने स्पष्ट किया कि चार वीडियो को गिरफ्तारी का आधार बनाया गया, लेकिन वे उन्हें 28 दिनों तक नहीं दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने जब उन्हें सौंपे जाने के आदेश दिए तब जाकर ये वीडियो मिले। गीतांजलि बताती हैं कि इन वीडियो फुटेज को भी गलत तरीके से पेश किया गया। असल बात तो यह है कि सोनम ने कभी भी जेन-ज़ी जैसे प्रदर्शन की बात कही ही नहीं। कुल मिलाकर सरकार सोनम को चुप कराने के लिए यह सब कर रही, ताकि 6ठी अनुसूची और लद्दाख के भविष्य से जुड़े निर्णय उनके बगैर ही लिए जा सकें। इसके साथ ही गीतांजलि दावा करती हैं कि लद्दाख में ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जबकि स्थानीय लोग सोनम को याद न करते हों। लोगों में डर का माहौल है, सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से भी रोका जा रहा, पुलिस पूछताछ के नाम पर कॉल करती है, इसके बाद भी भी समर्थन जारी है। सभी लोगों को अब सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद बंधी हुई है। हिदायत/ईएमएस 15दिसंबर25