राष्ट्रीय
16-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। ठंड के दिनों में अक्सर लोग प्यास को नजरंदाज कर देते हैं। ऐसा आमतौर पानी के ठंडा होने के कारण करते हैं। लोगों की यही लापरवाही उन्हें भारी पड सकती है। यह लापरवाही शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक किडनी पर गंभीर असर डाल सकती है। पानी न सिर्फ शरीर को हाइड्रेट रखता है, बल्कि यह खून से गंदगी और टॉक्सिन्स को यूरिन के जरिए बाहर निकालने का मुख्य माध्यम है। पर्याप्त पानी होने पर खून की नसें खुली रहती हैं और महत्वपूर्ण पोषक तत्व किडनी तक आसानी से पहुंचते हैं। वहीं, जब शरीर पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन की स्थिति में होता है, तो किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर पाती और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। चिकित्सकों के अनुसार, डिहाइड्रेशन होने पर ब्लड फ्लो कम होने लगता है और वेस्ट पदार्थों को फिल्टर करना किडनी के लिए मुश्किल हो जाता है। इसका असर सीधे यूरिन की गुणवत्ता पर पड़ता है, जो गाढ़ा और कम मात्रा में बनने लगता है। पानी की कमी से यूरिन में मौजूद मिनरल्स और सॉल्ट क्रिस्टल बनाने लगते हैं, जो आगे चलकर दर्दनाक किडनी स्टोन का रूप ले लेते हैं। यह स्थिति इतनी पीड़ादायक हो सकती है कि कई बार मरीज को सर्जरी की जरूरत भी पड़ जाती है। इसके अलावा, पर्याप्त पानी न पीने पर शरीर बैक्टीरिया को बाहर नहीं निकाल पाता, जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। यह संक्रमण अगर समय पर नियंत्रित न किया जाए तो किडनी तक पहुंच सकता है और उसकी कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि गंभीर डिहाइड्रेशन ब्लड फ्लो को अत्यधिक कम कर देता है, जिससे एक्यूट किडनी इंजरी या अचानक किडनी फेलियर जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। कुछ मामलों में यह समस्या घंटों या कुछ दिनों में व्यक्ति की जान तक ले सकती है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि बार-बार डिहाइड्रेशन होने पर किडनी पर लगातार दबाव पड़ता है, जिससे क्रॉनिक किडनी डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी में किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है और एक समय ऐसा आ सकता है जब मरीज को डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत पड़े। सामान्य तौर पर स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 8–10 गिलास पानी पीना चाहिए, ताकि किडनी सही तरीके से काम कर सके और शरीर में टॉक्सिन जमा न हों। पानी पीने की आदत किडनी को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी है। डॉक्टरों का कहना है कि डिहाइड्रेशन केवल कम पानी पीने से ही नहीं होता, बल्कि उल्टी, दस्त, अत्यधिक पसीना, तेज बुखार, शराब का सेवन, कुछ दवाओं का उपयोग, या अत्यधिक व्यायाम जैसी स्थितियों में भी शरीर तेजी से पानी खो देता है। ऐसे में गाढ़ा पीला यूरिन, कम बार पेशाब आना, अत्यधिक थकान, चक्कर आना, सिरदर्द, मुंह और होंठों का सूखना, त्वचा का रूखापन जैसे संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सर्दियों में भी नियमित अंतराल पर पानी पीना जरूरी है, भले ही प्यास न लगे। सुदामा/ईएमएस 16 दिसंबर 2025