राष्ट्रीय
16-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय प्राचीन संस्कृति में योग के अनेक आसन शामिल हैं, जो शरीर को लचीला बनाते हैं, मांसपेशियों को स्वस्थ रखते हैं और मन को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा ही एक योगासन है पादहस्तासन। इस योगासन को अत्यंत लाभकारी और प्रभावशाली योगासन माना जाता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से अपच, कब्ज और गैस जैसी समस्याओं में सुधार देखा जा सकता है। यह आसन पेट की मांसपेशियों पर गहरा प्रभाव डालता है और पाचन क्रिया को सक्रिय बनाए रखता है। प्राचीन मान्यताओं में पादहस्तासन को सूर्य नमस्कार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है, जिसके अभ्यास से शरीर सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करता है और प्राणशक्ति में बढ़ोतरी होती है। इस आसन को करते समय शरीर पृथ्वी की ओर झुकता है, जिससे पूरे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। आधुनिक जीवनशैली में जहां अधिकांश समय लोग कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल स्क्रीन पर झुके रहते हैं, ऐसे में पादहस्तासन शरीर के पोस्चर को सुधारने में मदद करता है। योग विशेषज्ञों का कहना है कि इस आसन का नियमित अभ्यास शारीरिक लचीलापन बढ़ाता है, मानसिक तनाव कम करता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। इस आसन को करने के लिए योग मैट पर घुटनों के बल बैठें। एड़ियों को बाहर की ओर रखते हुए कूल्हों को एड़ियों पर टिकाएं। हथेलियों को जांघों पर रखें और रीढ़ को सीधा रखें। सामान्य गति से सांस लेते हुए 5 से 10 मिनट तक इस मुद्रा में रहें। अभ्यास के दौरान शरीर को आरामदायक महसूस होना चाहिए और किसी भी तरह के अत्यधिक खिंचाव से बचना चाहिए। आयुष मंत्रालय के अनुसार, पादहस्तासन महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाली तकलीफों को कम करने में भी सहायक है। यह शरीर को संतुलन प्रदान करता है और ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है। इसके नियमित अभ्यास से सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क और आंखों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। साथ ही यह मन को शांत रखने और तनाव दूर करने में भी काफी मददगार है। सुदामा/ईएमएस 16 दिसंबर 2025