- अस्पतालों में रजिस्टर्ड डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के फर्जीवाड़े से घबराई सरकार–रवि परमार - अस्पताल माफियाओं को संरक्षण देने के लिए स्वास्थ्य विभाग का बड़ा कदम - प्रशासन ने दी खुली छूट, मरीजों की जान से खुलेआम होगा खिलवाड़ भोपाल(ईएमएस)। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। प्रदेश में फर्जी अस्पतालों का जाल फैलता जा रहा है, और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी न केवल ऐसे अस्पतालों को मान्यता दे रहे हैं, बल्कि जनकल्याणकारी योजनाओं ( जैसे -आयुष्मान योजना ) के नाम पर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का खुला लाइसेंस भी प्रदान कर रहे हैं। यह आरोप एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने लगाए हैं। परमार ने कहा कि एनएसयूआई लंबे समय से प्रदेश में संचालित फर्जी अस्पतालों, फर्जी डॉक्टरों और कागजों पर दर्ज नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ आवाज उठाता आ रहा है, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ऐसे अस्पतालों को संरक्षण देने में लगे हुए हैं। अब स्वास्थ्य विभाग ने एक और गंभीर कदम उठाते हुए अपने ऑनलाइन पोर्टल से अस्पतालों में रजिस्टर्ड डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की जानकारी ही हटा दी है। परमार ने कहा कि इस फैसले से यह आशंका और गहरी हो गई है, कि अब एक ही डॉक्टर या नर्स को फर्जी तरीके से 8–10 अस्पतालों में रजिस्टर्ड दिखाया जा सकेगा और इसकी सार्वजनिक जांच या पुष्टि संभव नहीं रहेगी। यह निर्णय सीधे तौर पर अस्पताल माफियाओं को फायदा पहुंचाने वाला है और मरीजों की सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ है। - इलाज करने वाले डॉक्टर की जानकारी मरीजो का मौलिक अधिकार संगठन के अक्षय तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक, मरीज और उनके परिजनों का यह मौलिक अधिकार है, कि वे यह जान सकें कि जिस अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है, वहां कौन-कौन से डॉक्टर और स्टाफ नर्स विधिवत रजिस्टर्ड हैं या नहीं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल माफियाओं के इशारे पर ऑनलाइन पोर्टल से यह जानकारी हटाकर पारदर्शिता को खत्म कर दिया है। इससे साफ जाहिर होता है, कि भाजपा सरकार और स्वास्थ्य विभाग फर्जी अस्पतालों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और उन्हें प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है। - एनएसयूआई ने की सरकार से यह मांगे 1. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्काल प्रभाव से ऑनलाइन पोर्टल पर सभी अस्पतालों में रजिस्टर्ड डॉक्टरों एवं नर्सिंग स्टाफ की जानकारी पुनः सार्वजनिक करे। 2. निजी अस्पताल माफियाओ को एक डॉक्टर या नर्स के एक से अधिक अस्पतालों में फर्जी पंजीयन की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। 3. फर्जी अस्पतालों, फर्जी स्टाफ और कूटरचित निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। 4. फर्जी अस्पतालों की मान्यता तत्काल निरस्त की जाए। जुनेद / 16 दिसंबर