ट्रेंडिंग
16-Dec-2025
...


-मामले की सुनवाई 7 जनवरी को नई दिल्ली,(ईएमएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने संसद में उनके खिलाफ शुरू की गई महाभियोग (इम्पीचमेंट) प्रक्रिया को चुनौती देकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। यह मामला उनके नई दिल्ली स्थित सरकारी आवास से जला हुआ कैश मिलने से जुड़ा है। जस्टिस वर्मा का कहना है कि उनके मामले में जजेज इन्क्वायरी एक्ट 1968 में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। उन्होंने लोकसभा स्पीकर द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी को अवैध बताया है। उनका तर्क है कि कानून के अनुसार, जब किसी जज को हटाने का प्रस्ताव दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में लाया जाता है, तब जांच समिति का गठन भी लोकसभा और राज्यसभा द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना चाहिए, न कि सिर्फ लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा। याचिका में कहा गया है कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अकेले समिति बनाना कानून और संविधान दोनों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि महाभियोग प्रस्ताव को दोनों सदनों से एक ही दिन में पारित किया जाना अनिवार्य था, जिसका पालन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए लोकसभा और राज्यसभा के सचिवालयों को नोटिस जारी किया है और सात जनवरी तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की, क्या कानून बनाने वालों को ये भी नहीं पता कि ऐसा नहीं किया जा सकता? यह टिप्पणी कमेटी के गठन की प्रक्रिया पर सवाल उठाती है। सुप्रीम कोर्ट अब लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों के जवाब के बाद अगली सुनवाई में यह तय करेगा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ शुरू की गई महाभियोग प्रक्रिया कानून के अनुरूप है या नहीं। क्या है मामला? बता दें, 14 मार्च, 2025 की शाम को जस्टिस वर्मा के घर में लगी आग के कारण दमकलकर्मियों द्वारा कथित तौर पर बेहिसाब नकदी बरामद की गई थी। हालांकि, घटना के वक्त जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी उस समय दिल्ली में नहीं थे और मध्य प्रदेश की यात्रा पर थे। आग लगने के समय घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध माता ही मौजूद थे। बाद में एक वीडियो सामने आया जिसमें नकदी के बंडल आग में जलते हुए दिखाई दे रहे थे। इस घटना के बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिन्हें उन्होंने नकारते हुए कहा कि यह उन्हें फंसाने की साजिश प्रतीत होती है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं) ने आरोपों की आंतरिक जांच शुरू की और 22 मार्च को जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया । आशीष दुबे / 16 दिसंबर 2025