सिडनी,(ईएमएस)। बोरिस और सोफिया गुरमन की अत्यंत बहादुरी और हृदय विदारक कहानी है, जिन्होंने सिडनी के बॉन्डी बीच पर हुए आतंकी हमले को रोकने की कोशिश में अपनी जान दे दी। बोरिस (69) और सोफिया (61) गुरमन एक आम यहूदी जोड़े थे जो नॉर्थ बॉन्डी में रहते थे। यह घटना रविवार (14 दिसंबर) दोपहर को कैंपबेल परेड पर हुई, जब वे टहल रहे थे। हमलावर आतंकी साजिद अकरम था, जिसकी उम्र 50 साल थी और वह अपने 24 साल के बेटे नवीद अकरम के साथ मिलकर हमला कर रहा था। जब आतंकी साजिद अकरम अपनी कार से निकला, तब 69 साल के बोरिस ने बिना हिचकिचाहट आंतकी अकरम को सड़क पर पटक दिया। बोरिस ने आतंकी के हाथ से राइफल छीन ली और आंतकी अकरम को उसी की बंदूक से धमकाया। उनकी पत्नी सोफिया भी उनके साथ शामिल हो गईं, और दोनों का लक्ष्य आतंकी का हथियार छीनना था। लेकिन कुछ देर बाद, आतंकी अकरम बोरिस पर हावी हो गया और आंतकी ने दूसरी राइफल उठा ली। राइफल उठाने के बाद उसने बोरिस और सोफिया को बहुत नजदीक से गोली मारी। फायरिंग इतनी शक्तिशाली थी कि दोनों की मौत तुरंत हो गई। वे इस दौरान एक-दूसरे की बाहों में थे, शायद एक-दूसरे को बचाने की कोशिश कर रहे थे। बोरिस एक रिटायर्ड मैकेनिक थे और सोफिया ऑस्ट्रेलिया पोस्ट में काम करती थीं। उन्होंने 34 साल पहले शादी की थी। गुरमन दंपति इस हमले के पहले शिकार थे। इस आतंकी हमले में 15 लोगों की जान गई और 40 से ज़्यादा लोग ज़ख्मी हुए। इस जोड़े ने आतंक और नफरत को आमने-सामने चुनौती दी और दुनिया को आतंक के खिलाफ संघर्ष का संदेश दिया। उनके परिवार ने उन्हें परिवार का दिल बताया। गुरमन कपल के अलावा, अहमद अल अहमद और रूवेन मॉरिसन जैसे अन्य नायकों की बहादुरी के कारण मरने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा होने से बच गई। बोरिस और सोफिया गुरमन की कहानी साहस, प्रेम और आत्म-बलिदान का एक मार्मिक उदाहरण है। बोरिस और सोफिया गुरमन की एक अत्यंत बहादुरी भरी और हृदय विदारक कहानी है। उनकी निस्वार्थ कार्रवाई और अंतिम बलिदान, आतंक के सामने खड़े होने की मानवीय भावना का एक शक्तिशाली प्रमाण है। आशीष दुबे / 16 दिसंबर 2025