ट्रेंडिंग
18-Dec-2025
...


- इंदौर और भोपाल को मास्टर प्लान का इंतजार... - नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय बोले- दोनों शहरों के मास्टर प्लान बनकर तैयार, मुख्य सचिव देख चुके हैं... -पहले विधानसभा के विशेष सत्र और अब पत्रकारवार्ता में मंत्री के बयान से गरमाई मप्र की राजनीति -कांग्रेस ने कहा-कुलीनों के कुनबे के मंत्रियों और नेताओं में छिड़ी है सियासी वर्चस्व की जंग भोपाल (ईएमएस)। प्रदेश की राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी इंदौर का भविष्य मुख्यमंत्री के बीच अटका हुआ है। यह स्वीकारोक्ति किसी विपक्षी नेता की नहीं, बल्कि सरकार के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने साफ शब्दों में कहा कि दोनों शहरों के मास्टर प्लान बनकर तैयार हैं, मुख्य सचिव इन्हें देख चुके हैं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की व्यस्तताओं के कारण अब तक इन्हें अंतिम मंजूरी नहीं मिल पाई है। गुरुवार को अपने दो साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि मास्टर प्लान को देखने में करीब चार घंटे का समय लगेगा। मुख्यमंत्री अपनी व्यस्तताओं के कारण समय नहीं दे पा रहे है। पत्रकार वार्ता में मंत्री के इस बयान को सुनकर लोग भौचके रह गए। गौरतलब है कि बुधवार को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान भी विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री के पहनाएं को लेकर कटाक्ष किया था। उधर, इस मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कुलीनों का कुनबा कहे जाने वाली भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं है। मंत्रियों और नेताओं में वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है। कैलाश विजयवर्गीय के दो दिन में दो बयान इसके संकेत हैं। मेरे विभाग की ओर से कोई अड़चन नहीं नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मुख्यमंत्री जैसे ही बैठकर इसे फाइनल करेंगे, मास्टर प्लान सार्वजनिक कर दिया जाएगा। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके विभाग की ओर से किसी तरह की कोई अड़चन नहीं है। स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रैफिक मैनेजमेंट और आवासीय योजनाओं की पूरी रूपरेखा तैयार है, अंतिम मुहर मुख्यमंत्री को लगानी है। विजयवर्गीय के इस बयान ने यह संदेश साफ कर दिया कि मास्टर प्लान एवं शहरों के विकास का सिस्टम तैयार है, लेकिन मुख्यमंत्री के समय की कमी के कारण प्रदेश की दो सबसे सबसे बड़े महानगर इंदौर और भोपाल का विकास रुका हुआ है। ‘सूट-बूट’ टिप्पणी से जुड़ता सियासी संकेत इस बयान से एक दिन पहले विधानसभा के विशेष सत्र में कैलाश विजयवर्गीय ने एक और टिप्पणी कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी। सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का जिक्र करते हुए जब बात वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव पर आई, तो विजयवर्गीय ने कहा कि अभी 20-20 क्रिकेट मैच चल रहा है। कप्तान सूर्यकुमार मैदान में उतरते ही सब खिलाडिय़ों को किट बांट देते हैं। हमारे कप्तान ऐसे हैं कि खुद सूट-बूट में आ गए। हम सब गरीब ऐसे ही बैठे हैं। राजनीतिक गलियारों में इसे केवल व्यंग्य नहीं, बल्कि सत्ता के भीतर असंतोष के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक मायने विश्लेषकों का मानना है कि विजयवर्गीय के ये बयान साधारण प्रशासनिक जानकारी नहीं, बल्कि सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं। वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके विभाग में विकास को लेकर कोई रुकावट नहीं है। यदि योजनाएं अटकी हैं, तो इसकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की है। भाजपा के भीतर सत्ता संतुलन को लेकर जो असहजता लंबे समय से दबे स्वर में थी, वह अब सार्वजनिक होती दिख रही है। संगठन और सरकार दोनों में मजबूत पकड़ रखने वाले विजयवर्गीय का कद उन्हें चुप मंत्री बने रहने की अनुमति नहीं देता। ऐसे में उनके बयान आने वाले दिनों में सियासी तापमान और भी बढ़ा सकते हैं।