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20-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि मौजूदा वैश्विक हालात में अमेरिका, चीन और रूस जैसे बड़े देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को संभालना पहले की तुलना में कहीं अधिक जटिल हो गया है। बदलते वैश्विक समीकरणों और अस्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल के बीच भारत को स्पष्ट रणनीति और ठोस “गेम प्लान” के साथ आगे बढ़ना होगा। उन्होंने यह बातें पुणे पुस्तक महोत्सव के दौरान एक कार्यक्रम में कहीं। जयशंकर ने कहा कि विदेश नीति में अस्पष्टता की कोई जगह नहीं होती। इसमें स्पष्ट सोच और राष्ट्रीय हित के अनुरूप फैसले जरूरी हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “विदेश नीति में आपको स्पष्टता रखनी होती है, आपको विकल्प चुनने होते हैं और एक साफ गेम प्लान के साथ आगे बढ़ना होता है।” उनका कहना था कि भारत को यह पहचानना चाहिए कि उसके हित में क्या है और उसी दिशा में निरंतर काम करना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि आज के दौर में प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के रिश्ते पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। उन्होंने कहा, “अमेरिका के साथ जुड़ाव जटिल हो गया है, चीन को संभालना मुश्किल हो गया है और यूक्रेन युद्ध के कारण रूस को भरोसा दिलाना भी आसान नहीं रहा।” इसके साथ ही उन्होंने यूरोप को भारत का अहम साझेदार बताते हुए कहा कि अब उसके साथ भी अधिक सक्रिय कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत है। पड़ोसी देशों के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि भारत के आसपास के छोटे देशों के साथ रिश्ते राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहते हैं और इनमें उतार-चढ़ाव आता रहता है। कभी प्रशंसा होती है तो कभी आलोचना, लेकिन इसके बावजूद रिश्तों को स्थिर बनाए रखना भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने संकट के समय भारत की भूमिका का भी उल्लेख किया। श्रीलंका को चक्रवात और आर्थिक संकट के दौरान मदद, कोविड-19 महामारी के समय पड़ोसी देशों को सहायता और यूक्रेन युद्ध के दौरान ईंधन, गेहूं व उर्वरक की आपूर्ति को भारत की जिम्मेदार विदेश नीति का उदाहरण बताया। जयशंकर ने मौजूदा वैश्विक व्यवस्था की तुलना गठबंधन राजनीति से करते हुए कहा कि आज दुनिया में कोई एक प्रभावशाली शक्ति नहीं है। ऐसे में भारत को लचीला रहते हुए अलग-अलग मुद्दों पर अलग-अलग देशों के साथ साझेदारी करनी होगी, लेकिन हर हाल में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रहना चाहिए। अंकित